सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी पहुंचे. यहां उन्होंने आईएएस प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया. उनके साथ में मसूरी के विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यहां डिजिटल प्रदर्शनी और सेमिनार का शुभारंभ किया. इस मौके पर एलबीएस के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने पूरे जीवन में प्रशिक्षु रहते हैं. सीखने की कोई सीमा नहीं है और शिक्षार्थी बनने की कोई आयु नहीं है.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हम अपने पूरे जीवन में प्रशिक्षु रहते हैं. हम सदैव कुछ न कुछ सीखते रहते हैं. सीखने की कोई सीमा नहीं है और शिक्षार्थी बनने की कोई आयु नहीं है. सीएम धामी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्रों में से एक है.
हम किसी भी देश को देख लें, अंतर अपने आप समझ में आ जाएगा. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी एक सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थान है. बता दें कि साल 1958 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकार ने घोषणा की कि वह एक राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी स्थापित करेगी, जहां सिविल सेवा के सभी रंगरूटों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
गृह मंत्रालय ने मसूरी के चारलेविल एस्टेट में स्थापित होने के लिए राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी बनाने के लिए दिल्ली के आईएएस ट्रेनिंग स्कूल, और आईएएस स्टाफ कॉलेज, शिमला को मिलाने का फैसला किया. आखिरकार 1 सितंबर 1959 को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी की स्थापना हुई.
अक्टूबर 1972 में, अकादमी का नाम बदलकर लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी रख दिया गया और जुलाई 1973 में इसमें राष्ट्रीय शब्द जोड़ा गया. यह भारत में एक उच्च प्रशिक्षण के लिए है. यह एक उपायुक्त (भारत के नियंत्रक के स्तर का एक अधिकारी) के नेतृत्व में और भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग का एक प्रारूप है.
यह भारत के लिए एक कोर्स है, भारतीय सेवा विदेश, संघ और रॉयल भूटान सेवा की ग्रुप ‘ए’ सेवाएं और उसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और रॉयल भूटान सेवा के सदस्यों की नियमित भर्ती के लिए पेशेवर प्रशिक्षण आयोजित करता है.