जोशीमठ| जोशीमठ में जो पानी निकल रहा है, क्या वो एनटीपीसी की टनल के कारण रिसाव हो रहा है? या फिर इसकी कोई और वजह है. इस रहस्य से अभी पर्दा नहीं उठने वाला. पानी को लेकर राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान ने जो प्राथमिक रिपोर्ट शासन को सौंपी थी, उसे आधी-अधूरी बताते हुए वापस लौटा दिया गया है. हालांकि, आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि अभी ये कहना जल्दबाजी होगा कि ये सब एनटीपीसी के कारण हो रहा है. 1976 में भी भू-धंसाव हुआ था, तब तो एनटीपीसी नहीं थी.
जोशीमठ में तीन जनवरी से जब दरारें गहराने लगी तो इसके दूसरे ही दिन से बड़ी मात्रा में जमीन से पानी का डिस्चार्ज भी होने लगा. दरार, धंसाव के साथ पानी के डिस्चार्ज ने प्रभावितों के साथ ही शासन प्रशासन की चिंता बढ़ा दी. ये पता करना जरूरी था कि ये पानी आ कहां से रहा है. इसके लिए राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम को जोशीमठ भेजा गया.
टीम ने 14 जगहों से पानी का सैंपल लेकर लैब में इनका सिग्नेचर मिलान किया. शासन को इसकी प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी गई. लेकिन शासन ने इस रिपोर्ट को ये कहकर खारिज कर दिया कि ये आधी अधूरी है. स्थानीय लोग जोशीमठ में निकल रहे इस गंदे पानी के लिए एनटीपीसी की निर्माणधीन टनल को जिम्मेदार मान रहे हैं. लोगों का कहना है कि जोशीमठ की धरती के नीचे से गुजारी जा रही इस टनल के कारण ही भू धंसाव हो रहा है. पूरे जोशीमठ में एनटीपीसी गो बैक के पोस्टर चिपके हुए हैं.
बहरहाल, जोशीमठ में निकल रहे गंदे पानी का रहस्य बरकरार है. इससे पर्दा उठने में अभी और इंतजार करना होगा. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान को अब अपनी कंप्लीट रिपोर्ट नोडल एजेंसी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) को सौंपने को कहा गया है.
साभार-न्यूज 18