इस महीने बिजली के बिल में छह पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी, जो कि फ्यूल एंड पावर परचेज कोस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) नियम के तहत किया गया है। यह नियम बिजली के दामों के माहवार समायोजन के लिए लागू होता है।
पिछले सात महीनों में एफपीपीसीए के तहत केवल एक महीने उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिली है, जबकि बाकी के महीनों में बिजली के दामों में वृद्धि ही हुई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण फ्यूल और पावर की लागत में हो रहे परिवर्तन हैं, जो उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर असर डालते हैं।
यूपीसीएल पिछले छह महीनों से लगातार बिजली की लागत को समायोजित कर रहा है। दरअसल फ्यूल प्राइस पास-थ्रू एडजस्टमेंट का नियम पूरे देश में लागू है। इस नियम के तहत ऊर्जा निगम बाजार से जो भी बिजली खरीदता है, यदि उसकी लागत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक होती है, तो अगले महीने उस अतिरिक्त राशि को उपभोक्ताओं के बिलों में जोड़ दिया जाता है।
इससे पहले एफपीपीसीए के तहत हर तिमाही बिजली के दामों में थोड़ी बढ़ोतरी होती थी। सितंबर में पहली बार इस नियम के तहत उपभोक्ताओं को बिजली खरीद के एफपीपीसीए के अनुसार बिल मिला था, जिसमें उन्हें 18 पैसे प्रति यूनिट का लाभ हुआ था। पिछले तीन महीनों का रुझान देखा जाए तो एफपीपीसीए लागत में लगातार कमी आ रही है। अप्रैल में यह लागत केवल छह पैसे प्रति यूनिट थी, जिसे मई के बिजली बिल में प्रति यूनिट वसूला जाएगा।