उत्तराखंड@25 चिंतन शिविर: नौकरशाहों ने बताया कैसे मुमकिन होगा उत्तराखंड का विकास

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद ये पहला मौका है कि पूरी सरकार राज्य और लोगों के विकास पर गहन मंथन के लिए पहाड़ों की रानी की खूबसूरत गोद में आ सिमटी है. मंगलवार को जब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शिविर का उद्घाटन किया तो सिर्फ नौकरशाह सुन रहे थे. 24 नवम्बर को उन्हें सुनने के लिए पूरा मंत्रिमंडल मौजूद रहेगा.

सरकार के पायलट-ड्राईवर कहे जाने वाले IAS-IFS-अन्य सेवाओं से जुड़े नौकरशाहों ने मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में मंगलवार को शुरू सशक्त उत्तराखंड@25 चिंतन शिविर में राज्य के विकास के रास्ते-समाधान सुझाए. ये राय सामने आई कि राजधानी में New Township-Tunnels-एलिवेटेड Roads-Teachers ट्रेनिंग और खेल के मैदान सबसे अधिक जरूरी हैं.

दूसरे सत्र में मंगलवार को शहरी विकास, पहाड़ में सड़क, तकनीक युक्त सर्विस डिलीवरी, गुणवत्तापरक मानव संसाधन, स्वास्थ्य पर चिंतन हुआ। अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने शहरी विकास पर कहा कि भविष्य की आवश्यकता अनुसार न्यू टाउनशिप विकसित करने एवं अफोर्डेबल हाउसिंग पर अभी से कार्य करने की जरूरत है। इस पर चर्चा के दौरान अधिकारियों ने सुझाव प्रस्तुत किए.

शहरी विकास विभाग के निदेशक नवनीत पांडे ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट एवं अर्बन लोकल बॉडीज के रेवेन्यू किस तरह से बढ़ाए जाएं, इस पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया. पीडब्लूडी के प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु ने टनल एवं एलिवेटेड रोड को आज की जरूरत करार दिया. उन्होंने राज्य में टनल, एलिवेटेड रोड, ग्रीन तकनीक का सड़क एवं भवन निर्माण में इस्तेमाल को जरूरी बताया.

सुधांशु ने कहा कि देहरादून में रिस्पना-बिंदाल नदियों पर एलिवेटेड रोड प्रस्तावित हैं. इनकी DPR बनाई जा रही है. विधानसभा से मोहकमपुर तक एलिवेटेड रोड का निर्माण प्रस्तावित है. सड़कें किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए लाइफ लाइन का काम करती हैं. उनके प्रस्तुतिकरण पर तमाम अधिकारियों ने सुझाव प्रस्तुत किए.

सचिव (IT) शैलेश बगोली ने तकनीक युक्त सर्विस डिलीवरी पर प्रेजेंटेशन में कहा कि हमारा प्रयास है कि जनसामान्य के लिए चीजों को आसान किया जाए. उन्होंने कहा कि इस कार्य में सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (ITDA) की अहम भूमिका है. सचिव (शिक्षा) रविनाथ रमन ने क्वालिटी ह्यूमन रिसोर्स डेवलोपमेन्ट पर प्रस्तुतिकरण में कहा कि वर्ष-2041 तक हमें स्कूल भवनों पर निवेश की जरूरत नहीं होगी. इसके बजाए शिक्षकों के प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा.

रमन ने कहा कि स्कूलों में ड्राप आउट रेट कम करने के लिए `चाइल्ड टू चाइल्ड मैपिंग’ करना होगा.इन बच्चों को स्कूलों तक वापस लाने के लिए ये जरूरी है. गुणवत्ता युक्त शिक्षक प्रशिक्षण के साथ ही लाइब्रेरी और खेल मैदान बढ़ाने की जरूरत है. जिलाधिकारियों की भूमिका इसमें अहम होगी.

ट्रांसफर नीति अभी मैन्युअल है. इसमें अधिकारियों का काफी समय व्यय होता है. इस दिशा में हरियाणा की तर्ज पर नीति लाई जा रही है. 72 स्कूल राज्य में ऐसे हैं जो कि वन क्षेत्र में चल रहे हैं. इनके लिए वन विभाग को बजट ट्रांसफर कर यहां बांस के स्ट्रक्चर बनाये जा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि कई समाज सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर भी नए कार्य स्कूलों में किए जा रहे हैं. सचिव (उच्च शिक्षा) के तौर पर शैलेश बगोली ने हाईयर लर्निंग में वोकेशनल डिग्री कार्यक्रमों के इंट्रोडक्शन पर प्रस्तुतिकरण दिया. शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि चालू शिक्षा सत्र में प्रदेश के स्कूलों में भर्तियाँ बढ़ी हैं.

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