केदारनाथ| हिमालय क्षेत्र में शनिवार सुबह फिर हिमस्खलन हुआ है. लेकिन केदारनाथ मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ. श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि केदारनाथ की पहाड़ियों पर हिमस्खलन हुआ है. लेकिन मंदिर सुरक्षित है. मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में 22 सितंबर की शाम करीब साढ़े 6 बजे चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च आया था. हालांकि, तब भी कोई नुकसान नहीं हुआ था.
शासन प्रशासन इसके बाद से एवलॉन्च को लेकर अलर्ट था. केदारनाथ मंदिर के पीछे करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर चोराबाड़ी ग्लेशियर स्थित है. वहीं एवलॉन्च आया था.
चोराबारी ग्लेशियर वही ग्लेशियर है जिसने साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में भारी तबाही मचाई थी. जब यह एवलॉन्च हो रहा था तब वहां मौजूद लोग इसे मामूली घटना ही समझ रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे बर्फ का यह पूरा का पूरा पहाड़ नीचे आता हुआ दिखाई दिया, तब सबको समझ में आया.
एक बार फिर से केदारनाथ के पीछे हलचल हुई है. फिलहाल प्रशासन इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है. प्रशासन यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिरकार इतनी भारी संख्या में एवलॉन्च कैसे हुआ है.
साल 2013 में केदारनाथ आपदा की खौफनाक तस्वीरें अब भी रोंगटे खड़े कर देती हैं. यह घटना दुनिया में सदी की सबसे बड़ी जल प्रलय से जुड़ी घटनाओं में से एक थी.
16 जून 2013 की उस रात केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे 13 हजार फीट ऊंचाई पर चौराबाड़ी झील ने ऐसी तबाही मचाई थी, जिसके कारण हजारों लोगों की जिंदगियां तबाह हो गईं.
अंदाजा लगाइए कि झील फटने के कई किलोमीटर दूर तक भी लोगों को कुछ सेकंड संभलने का मौका भी नहीं मिल सका था. पानी का वेग इतना तेज था कि कई क्विंटल भारी पत्थर इस जल प्रलय के साथ बहते हुए सब कुछ नेस्तनाबूद कर रहे थे.