केदारनाथ आपदा के एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, पैदल मार्ग पर बनाए गए नए पड़ावों की सुरक्षा के लिए न तो कोई योजना बनाई गई है और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए हैं। एवलांच जोन में स्थित होने के कारण इस क्षेत्र में लगातार भूमिगत पानी रिसाव हो रहा है, जिससे भूधंसाव की स्थिति बनी हुई है। साथ ही, पड़ावों के नीचे से बहने वाली मंदाकिनी नदी के तेज बहाव के कारण भूमि कटाव बढ़ रहा है, जिससे भूस्खलन का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
16 और 17 जून 2013 की आपदा ने केदारनाथ में भारी तबाही मचाई थी, जिसमें मंदाकिनी नदी के सैलाब से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग रामबाड़ा से केदारनाथ तक पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। मार्ग के नष्ट होने के कारण धाम तक पहुंचने का कोई साधन नहीं बचा था, जिसके बाद पहले चरण में जैसे-तैसे एक पगडंडी तैयार की गई।
मार्च 2014 से केदारनाथ पुनर्निर्माण के अंतर्गत गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए गए और मंदाकिनी नदी के दाईं तरफ 9 किमी नए रास्ते का निर्माण किया गया। इस मार्ग पर छोटी लिनचोली, बड़ी लिनचोली, छानी कैंप, रुद्रा प्वाइंट और बेस कैंप जैसे नए पड़ाव भी विकसित किए गए, लेकिन सुरक्षा के मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।