रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल ने अब गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी के एक नए घोटाले का पर्दाफाश किया है। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है कि गोल्डन फॉरेस्ट की संपत्ति में 250 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि शामिल है।
विशेष जांच दल ने इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को प्रस्तुत कर दी है, जिसमें वित्त विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में सरकारी भूमि की पहचान और चिह्नांकन भी शामिल है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि बड़ी मात्रा में सरकारी जमीन का दुरुपयोग और अवैध तरीके से हड़पने की गतिविधियाँ की गई हैं।
गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया की भूमि की अवैध बिक्री का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में, धोरणखास क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन को विक्रय पत्र के माध्यम से बेचा गया, हालांकि यह भूमि गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी की थी। आरोपियों ने इस जमीन को अपनी बताकर जाली दस्तावेजों के सहारे बिक्री कर दी। राजपुर थाना पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया है।
एसआईटी ने गोल्डन फॉरेस्ट के नाम पर खरीदी गई जमीन में सरकारी भूमि के अवैध कब्जे का मामला उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी विभागों को इस भूमि के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। गोल्डन फॉरेस्ट की भूमि जिले के विभिन्न इलाकों, जैसे कि विकास नगर, मिसरास पट्टी, मसूरी और धनोल्टी, में फैली हुई है, और इन भूमि की बिक्री की जा रही है।
लंबे समय से इन जमीनों पर कब्जे के चलते राजस्व विभाग ने 454 हेक्टेयर भूमि विभिन्न सरकारी विभागों को आवंटित कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने जानकारी दी है कि एसआईटी की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है और इसे अब पुलिस के पास भेजा जा चुका है।