टाटा समूह ने इस साल इंडियन प्रीमियर लीग का टाइटल प्रायोजक बनने के लिये ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ (ईओआई) जमा कर दिया है जबकि शिक्षा प्रौद्यौगिकी कंपनी ‘अनअकैडमी’ और फंतासी स्पोर्ट्स मंच ‘ड्रीम11’ भी इस साल चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो की जगह लेने के लिये इस दौड़ में शामिल हैं .
भारतीय क्रिकेट बोर्ड को ईओआई जमा करने की अंतिम तारीख शुक्रवार तक ही थी. आईपीएल का आयोजन 19 सितंबर से 10 नवंबर तक इस साल संयुक्त अरब अमीरात में किया जायेगा.
टाटा समूह के आने से अब टाइटल प्रायोजन अधिकार की होड़ रोचक हो गई है .बीसीसीआई को उम्मीद है कि बोली वीवो के सालाना 440 करोड़ रूपये के करार से बहुत कम नहीं होगा भले ही यह अधिकार संक्षिप्त अवधि के लिये दिये जायेंगे .
कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया ,‘हां , टाटा समूह ने आईपीएल टाइटल अधिकारों के लिये ईओआई जमा करा दी है.’ इसकी जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के वरिष्ठ सूत्र ने इससे पहले पीटीआई से कहा था , ‘अनअकैडमी और ड्रीम11 ने आईपीएल के टाइटल प्रायोजन अधिकार हासिल करने के लिये ईओआई सौंप दिया है.’
अधिकारी ने कहा, ‘ईओआई में बोली लगाने की राशि का जिक्र नहीं होता.यह 18 अगस्त को ईओई एट बीसीसीआई टीवी को भेजा जायेगा.’ बीसीसीआई ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि ऊंची बोली लगाने वाले को तब तक टाइटल प्रायोजन अधिकार नहीं मिल सकते जब तक मूल संस्था उसकी योजना से संतुष्ट नहीं हो. योग गुरू बाबा रामदेव की पतंजलि और जियो कम्युनिकेशंस भी दौड़ में है लेकिन बीसीसीआई की ओर से अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है .
भारत-चीन सीमा विवाद के बाद चीनी सामानों के बहिष्कार की उठती मांग के बीच वीवो ने पिछले हफ्ते बीसीसीआई के साथ करार खत्म करने का फैसला किया था. वीवो इंडिया ने 2017 में आईपीएल टाइटल प्रायोजन अधिकार 2199 करोड़ रुपये में हासिल किए थे. करार के मुताबिक कंपनी को हर सीजन में बीसीसीआई को करीब 440 करोड़ रुपये का भुगतान करना था
कायास लगाए जा रहे हैं कि नए स्पॉन्सर शायद इतनी कीमत नहीं दे पाएंगे और बीसीसीआई को नुकसान होना तय हैं. हालांकि सौरव गांगुली लगता है कि इसका बहुत भारतीय क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली ने चीनी मोबाइल कंपनी वीवो के साथ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) टाइटल प्रायोजन करार के निलंबित होने को महज एक ‘झटका’ करार दिया और उन चर्चाओं को खारिज किया कि इससे ‘वित्तीय संकट’ उत्पन्न हो सकता है.