रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला गया. मुंबई के कप्तान पृथ्वी शॉ ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया. मुंबई ने सरफराज खान के शतक और यशस्वी जायसवाल के अर्धशतक की बदौलत पहली पारी में 347 रन बनाए.
इसके बाद मध्य प्रदेश ने यश दुबे, शुभम शर्मा और रजत पाटीदार के शतक की बदौलत पहली पारी में 536 रन बनाए. दूसरी पारी में मुंबई की टीम 269 रन पर सिमट गई. इस तरह मध्य प्रदेश को जीत के लिए 108 रन का लक्ष्य मिला, जिसे पहली बार की रणजी चैंपियन ने 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया.
मध्यप्रदेश की टीम में 18 साल के खिलाड़ी से लेकर 30 साल के तक सीनियर खिलाड़ी शामिल थे, इस टीम में शामिल युवा और सीनियर का यही तालमेल जीत का मंत्र बना.
पूरी सीरीज में एक तरफ जहां गेंदबाजों में विकेट लेने का जुनून, तो बल्लेबाजों में रनों की भूख भी दिखी. इसी का नतीजा रहा है कि मध्यप्रदेश ने रणजी के इतिहास में पहली बार ट्रॉफी पर कब्जा करने में सफल रही.
88 साल के रणजी के इतिहास में यह पहली बार है जब एमपी ने ट्राफी जीती. 23 साल पहले मध्यप्रदेश फाइनल में तो पहुंचा था, लेकिन टीम को कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस बार इतिहास रचते हुए मध्यप्रदेश ने मुंबई को 6 विकेट से हराकर ट्राफी अपने नाम की है.