डब्ल्यूएफआई यानी भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. खेल मंत्रालय ने रविवार को भारतीय कुश्ती संघ को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है. सरकार के इस फैसले के पीछे बताया जा रहा है कि नवनिर्वाचित कुश्ती संघ ने उचित प्रकिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषणा’ की थी.
खेल मंत्रालय ने साथ ही कहा कि संजय कुमार सिंह की अगुवाई में नई संस्था ‘पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण’ में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है. डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे जिसमें पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी.
खेल मंत्रालय के मुताबिक, नए निकाय ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया. महासंघ अगले आदेश तक निलंबित रहेगा। डब्ल्यूएफआई कुश्ती के दैनिक कामकाम को नहीं देखेगा. उन्हें उचित प्रक्रिया और नियमों का पालन करने की जरूरत है. बता दें कि विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया ने पूर्व अध्यक्ष के विश्वासपात्र संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने के विरोध में शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार सरकार को लौटा दिया था.
डब्ल्ल्यूएफआई पर खेल मंत्रालय के फैसले के बाद बृजभूषण सिंह ने कहा कि कुश्ती संघ से मेरा रोल समाप्त हो चुका है. यौन शोषण का मामला कोर्ट में है और इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. संजय सिंह भूमिहार हैं और मैं राजपूत हूं. मेरे कई लोगों से करीबी रिश्ते हैं.
जानें बृजभूषण की पीसी की खास बातें
बृजभूषण शरण सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या-क्या कहा
- मैंने कुश्ती से संन्यास ले लिया है.
- भविष्य में कुश्ती संघ का चुनाव कभी नहीं लडूंगा.
- मुझे लोकसभा का चुनाव लड़ना है.
- जेपी नड्डा से मेरी सामान्य मुलाकात हुई.
- 12 साल तक कुश्ती के लिए काम किया.
- मेरे काम का समय मूल्यांकन करेगा.
- कोर्ट जाने से मेरा कोई लेना-देना नहीं है.
- दबदबा वाला पोस्टर मैंने नहीं समर्थकों ने लगाए थे, अहंकार की बू आ रही थी इसलिए पोस्टर हटाएं.
- कुश्ती से 21 दिसंबर को ही संन्यास ले लिया था.