सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन दाखिल करने के मौके पर उनके साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला सहित विपक्ष के कई नेता मौजूद थे.
यशवंत सिन्हा का मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू से है. मुर्मू ने गत शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल किया. मुर्मू यदि यह चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है और जरूरत पड़ने पर मतों की गिनती 21 जुलाई को की जाएगी.
नामांकन दाखिल करने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा कि वह इस पद का उम्मीदवार घोषित करने के लिए वह सबसे पहले विपक्षी दलों को बधाई देते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह इस पद के लिए चौथे विकल्प थे.
सिन्हा ने कहा कि यदि वह 10वें विकल्प भी होते तो भी चुनाव मजबूती के साथ लड़ते. सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति का काम सरकार को सलाह देना होता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पर रबड़ स्टंप होने के आरोप लगते हैं.
राष्ट्रपति को रबड़ स्टंप नहीं होना चाहिए. सिन्हा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपराधियों के खिलाफ नहीं बल्कि विपक्ष के नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. जांच एजेंसियों के जरिए विपक्ष के नेताओं का अपमान कराया जा रहा है.
सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमने रेलवे के कोच जलते हुए देखे हैं. आज विधायिका का केवल 25 प्रतिशत काम ही स्थायी समितियों के पास जाता है पहले यह 70-80 प्रतिशत हुआ करता था. केवल संसद की नई इमारत बना देने से संसद की गरिमा नहीं बढ़ जाती है.’
सिन्हा ने नामांकन पत्र दाखिल करने के समय एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, द्रमुक के ए राजा और नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला मौजूद थे.
इनके साथ ही, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता के.टी. रमा राव, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, राष्ट्रीय जनता दल की सांसद मीसा भारती, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के नेता एन.के. प्रेमचंद्रन, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और कुछ अन्य विपक्षी नेता भी उपस्थित थे.