उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा ने सभी कयासों को विराम देते हुए शनिवार शाम उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार होंगे. राज्यपाल धनखड़ का 3 सालों से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मनमुटाव भी खूब सुर्खियों में रहा.
एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार धनखड़ जाट बिरादरी से आते हैं. जगदीप धनखड़ एक समय में राजस्थान की सियासत में एक चर्चित चेहरा हुआ करते थे. वो राजनीति में आने से पहले राजस्थान हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने राजस्थान में जाटों के आरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी.
धनखड़ मूल रूप से झुंझुनूं से हैं. वो कानून, सियासत, सियासी दांवपेंच और हर पार्टी के अंदर अपने संबंधों की महारत के लिए जाने जाते हैं. वे राजस्थान की जाट बिरादरी से आते हैं. इस समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है. राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.
जगदीप धनखड़ वैसे तो पहले जनता दल और कांग्रेस पार्टी में भी रह चुके हैं लेकिन अब वो बीते दो दशक से बीजेपी के साथ हैं. 70 साल के जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था. वे 1989 से 1991 तक राजस्थान के झूंझनू से लोकसभा सांसद रहे.
1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. पहले चर्चा थी कि पिछले दिनों मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले मुख्तार अब्बास नकवी को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया जा सकता है. लेकिन राजधानी दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की आयोजित बैठक में उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार का एलान कर दिया है.
बोर्ड की बैठक के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ होंगे. भाजपा मुख्यालय में आयोजित संसदीय बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपस्थित रहे. भाजपा ने एक बार फिर से चौंका दिया.
इससे पहले, छह जुलाई को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कैबिनेट से इस्तीफा दिया था. उनका राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार 7 जुलाई को खत्म हो रहा था. इस्तीफे के बाद से नकवी को उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनाए जाने की चर्चा थी. नकवी को भाजपा ने पिछले दिनों हुए राज्यसभा के चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया था, तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उन्हें किसी बड़ी भूमिका में लाना चाहती है.