शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद केरल की वायनाड संसदीय सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया. इस सीट से राहुल गांधी निर्वाचित हुए थे. इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब सबकी नजरें चुनाव आयोग पर टिकी हैं. माना जा रहा है कि आयोग इस संसदीय सीट पर अगले 6 महीने के भीतर कभी भी चुनाव करा सकता है.
लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना के अनुसार, केरल की वायनाड संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मानहानि के एक मामले में सजा सुनाये जाने के मद्देनजर शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया. मानहानि के मामले में अदालत ने राहुल गांधी को 2 साल जेल की सजा सुनाई है.
क्या है नियम?
दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के तहत चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं में खाली सीटों पर रिक्ती के छह महीने के भीतर उपचुनाव करवाने का अधिकार है. हालांकि इसमें एक शर्त है कि नवनिर्वाचित सदस्य के लिए एक वर्ष या उससे अधिक का कार्यकाल बचा हो.
यहां राहुल गांधी की अयोग्यता के बाद वायनाड सीट 23 मार्च को खाली हो गई थी, ऐसे में धारा 151ए के अनुसार चुनाव आयोग के लिए 22 सितंबर, 2023 तक इस निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराना अनिवार्य है. यहां 17वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने में अभी एक साल से ज्यादा का समय बचा है, ऐसे उपचुनाव अनिवार्य हो जाता है, भले ही निर्वाचित सांसद को बेहद छोटा कार्यकाल मिले.
यहां गौर करने वाली एक बात और है कि चुनाव आयोग को वायनाड उपचुनाव की योजनाओं को विराम देना पड़ सकता है और अगर वह इसकी घोषणा करता है, तो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने से पहले अदालत द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाने की स्थिति में मतदान को रद्द करना पड़ सकता है.
इससे पहले लक्षदीप से एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल की आयोग्ता के एक हालिया मामले में यह देखा भी गया. फैजल को कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में 11 जनवरी 2023 को दोषी करार दिया था, जिससे वह स्वत: ही लोकसभा सदस्यता के लिए अयोग्य हो गए. चुनाव आयोग ने इसके तुरंत बात इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया था. हालांकि केरल हाईकोर्ट ने उसकी दोष सिद्धि पर रोक लगा दी, जिसके बाद आयोग को भी चुनाव अधिसूचना टालनी पड़ी.
हालांकि यहां एक और दिलचस्प बात यह है कि केरल हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद फैजल की लोकसभा सदस्यता भले ही दोबारा बहाल हो गई, लेकिन वह सदन की कार्यवाही में अब भी हिस्सा नहीं ले सकते.