केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और जयराम रमेश फाइजर के कोरोना टीके को लेकर ट्विटर पर भिड़े

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी फैलने के बाद कांग्रेस ने विदेशी टीकों के लिए दबाव बनाया था. इसके बाद विपक्षी दल के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री पर ‘झूठ’ फैलाने का आरोप लगाया.

राजीव चंद्रशेखर ने फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल्बर्ट बोरला की दावोस में एक पत्रकार के साथ बातचीत का एक वीडियो टैग करते हुए ट्वीट किया कि दवा कंपनी ने क्षतिपूर्ति की शर्तों को स्वीकार करने के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की. सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बुराला टीके के प्रभाव को लेकर सवालों से भागते नजर आए थे.

चंद्रशेखर ने लिखा, ‘और कांग्रेस के तीन नेताओं राहुल गांधी, पी चिदंबरम और जयराम रमेश कोविड के दौरान विदेशी टीकों के लिए दबाव बनाते रहे.’ इसके जवाब में रमेश ने ट्वीट करके चंद्रशेखर से कहा कि उन्हें अपनी ‘महत्वाकांक्षा के कारण झूठ’ नहीं बोलना चाहिए.

उन्होंने लिखा, ‘राजीव चंद्रशेखर जी, सोशल मीडिया का नियमन की जिम्मेदारी संभालने वाले मंत्री के तौर पर आप मेरे और मेरे सहयोगी पी. चिदंबरम के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए इसका घोर दुरुपयोग कर रहे हैं. हम इसे चुपचाप सहन नहीं करेंगे. मैं बताना चाहता हूं कि आप वास्तव में क्या हैं. क्या ट्विटर में आपको बेनकाब करने की हिम्मत है?’

कोरोना महामारी के पहले दौर में फाइजर ने अपना टीका भारत को बेचने का प्रस्ताव दिया था. कंपनी ने 2021 में एमआरएनए आधारित टीका विकसित करने की घोषणा की थी. वार्ता के दौरान कंपनी ने केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति शर्त से छूट देने की मांग की थी. हालांकि, नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया था. क्षतिपूर्ति शर्त के तहत यदि किसी दवा या टीके का विपरीत प्रभाव होता है, तो उत्पादक कंपनी को जवाबदेही लेनी होती है.

फाइजर टीके से लाभ तो कमाना चाहती थी, लेकिन जवाबदेही नहीं लेना चाहती थी. भारत ने स्वदेशी कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीकों के जरिये अपनी पूरी आबादी का सफल टीकाकरण बेहद कम समय में पूरा किया. यही नहीं भारत ने दूसरे देशों को भी इन टीकों की आपूर्ति की.

कांग्रेस नेता चिदंबरम ने 27 दिसंबर 2021 को ट्वीट किया, ‘भारत में सिर्फ 3 टीके हैं- कोविशील्ड, कोवाक्सिन व स्पूतनिक. मोदी सरकार के संरक्षणवादी नीति के कारण फाइजर, मॉडर्ना के टीके भारत से बाहर हैं.’ फाइजर के टीके के परीक्षण से संबंधित दस्तावेज लीक होने से यह खुलासा हुआ कि कंपनी को यह जानकारी थी कि उसका टीका वायरस का संक्रमण नहीं रोक सकता.

साथ ही यह भी खुलासा हुआ कि इस टीके से मौतें होने की जानकारी भी कंपनी को थी. इसके बावजूद कंपनी ने टीके को बाजार में उतार दिया. अमेरिका में फाइजर कंपनी की टीकों की शुरुआत के बाद दुष्प्रभाव के एक लाख 60 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. पत्रकारों ने दावोस समिट में फाइजर के सीईओ बुराला से टीके से संक्रमण नहीं रुकने और मौतें होने से संबंधित कई सवाल पूछे. हालांकि, उन्होंने किसी का जवाब नहीं दिया और सिर्फ धन्यवाद, आपका दिन शुभ हो जैसी लाइनें दोहराते रहे.







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