महाराष्ट्र: शिंदे बनाम उद्धव विवाद पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

महाराष्ट्र के शिंदे बनाम उद्धव विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 9 दिनों तक दोनों पक्षों और राज्यपाल कार्यालय के वकीलों को सुना. इस दौरान उद्धव कैंप ने शिंदे की बगावत और उनकी सरकार के गठन को गैरकानूनी बताया. दूसरी तरफ शिंदे खेमे ने कहा कि विधायक दल में टूट के बाद राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का आदेश देकर सही किया था.

सुनवाई के दौरान राज्यपाल कार्यालय के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “एक गठबंधन में चुनाव लड़ने के बाद दूसरे गठबंधन के साथ सरकार बनाने से शिवसेना में आंतरिक मतभेद था. यही पार्टी में टूट की वजह बना.” इस पर चीफ जस्टिस समेत बाकी जजों ने सवाल किया कि अगर बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस, एनसीपी के साथ सरकार बनाने से एकनाथ शिंदे पक्ष के विधायक नाराज़ थे, तो वह 3 साल तक सरकार के साथ क्यों रहे?

कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि अगर शिवसेना में विधायकों ने नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया था, तो इस पर राज्यपाल ने क्यों दखल दिया? उन्होंने फ्लोर टेस्ट का आदेश क्यों दे दिया?

क्या है मामला?
शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में साल 2022 में विधायकों की बगावत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जून और जुलाई, 2022 में दाखिल कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित थीं.

अगस्त में यह मामला संविधान पीठ को सौंपा गया था. 5 जजों की संविधान पीठ ने शिंदे कैंप के विधायकों की अयोग्यता, सरकार बनाने के लिए शिंदे को मिले निमंत्रण, नए स्पीकर के चुनाव जैसे कई मामलों पर उद्धव गुट की तरफ से उठाए गए सवालों पर विचार किया.





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