सोमवार 11 जुलाई को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को एक और परीक्षा से गुजरना होगा. शिंदे गुट के 16 विधायकों के निलंबन के लिए शिवसेना की ओर से दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इसके अलावा शिवसेना नेता सुभाष देसाई की ओर से दायर उस याचिका पर भी सुनवाई होनी है, जिसमें एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने का निमंत्रण देने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी गई है.
स्पीकर के निर्वाचन और विश्वासमत की प्रक्रिया को भी गलत बताया गया है. दूसरी ओर, महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने 55 शिवसेना विधायकों में से 53 को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सभी विधायकों से 7 दिन के भीतर अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा गया है.
इनमें से 39 विधायक एकनाथ शिंदे खेमे के हैं और 14 विधायक उद्धव ठाकरे गुट के हैं. ठाकरे खेमे के 14 विधायकों में से एक संतोष बांगर 4 जुलाई को सरकार के शक्ति परीक्षण के दिन एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए थे. दोनों पक्षों के विधायकों ने कारण बताओ नोटिस मिलने की पुष्टि की है.
शिवसेना के दोनों धड़ों ने 3 और 4 जुलाई को क्रमश: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और विश्वास प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन पार्टी व्हिप की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए, विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है. शिंदे गुट ने भरत गोगावले को शिवसेना का चीफ व्हिप नियुक्त किया है, जबकि उद्धव खेमे ने सुनील प्रभु को.
शिंदे खेमे ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के आरोप में अयोग्यता की कार्रवाई के लिए 14 विधायकों की सूची विधानसभा अध्यक्ष को भेजी थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का नाम शामिल नहीं था.
वहीं, उद्धव ठाकरे गुट ने पार्टी बैठक में शामिल नहीं होने पर, व्हिप के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के कुल 16 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई के लिए, उनकी सूची पूर्व डिप्टी स्पीकर नरहरि सीताराम जिरवाल को भेजी थी, जिसका संज्ञान लेते हुए उन्होंने सभी सदस्यों को नोटिस जारी किया था. उनके इस फैसले को शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.