दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया को शरीब नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. मनीष सिसोदिया के लिए ये बड़ी राहत की खबर है, क्योंकि वो करीब 18 महीने बाद जेल से बाहर आ पाएंगे. हालांकि, सर्वोच्च न्यायलय ने जमानत देते हुए मनीष सिसोदिया के सामने कुछ शर्तें भी रखी हैं, जिनके चलते मनीष सिसोदिया जेल से बाहर आने के बाद क्या कुछ नहीं कर पाएंगे. आइए जानते हैं.
इस बेंच ने दी सिसोदिया को बेल-:
मनीष सिसोदिया को जमानत देने का फैसला जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली मनीष सिसोदिया की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिसमें सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
ASG ने किया बेल दिए जाने का विरोध-:
सुनवाई के दौरान जांच एजेंसियों की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने मनीष सिसोदिया को बेल दिए जाने का विरोध किया. उन्होंने आशंका जताई कि मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने से गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है. मामले में अभी कुछ महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की जा सकती है. इन गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है. इस बात के सबूत हैं कि मनीष सिसोदिया ने फोन रिकॉर्ड नष्ट कर दिए हैं.
सिसोदिया के वकील ने दी ये दलील-:
मनीष सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने ASG के तर्क के खिलाफ सिसोदिया को जमानत के पक्ष मजबूती से दलीलें रखीं. सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि सत्रह महीने पहले ही बीत चुके हैं, जो मामले में न्यूनतम संभावित सजा का लगभग आधा है. सिंघवी ने सिसोदिया पर लाभ मार्जिन को लेकर जांच एजेंसियों के आरोपों का भी खंडन किया और कहा कि यह तत्कालीन एलजी सहित कई अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय था.
ASG का सिंघवी की दलीलों का जवाब-:
कोर्ट ने एएसजी राज ने भी सिंघवी की दलीलों का मजबूती से जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कोई भी बिना कारण के मनमाने ढंग से लाभ मार्जिन नहीं बढ़ा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि सिसोदिया कोई निर्दोष शख्स नहीं है, जिसे राजनीतिक कारणों से पकड़ा गया है, बल्कि वह घोटाले में गले तक डूबा हुआ है. उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करने वाले सबूत हैं. उन्होंने आगे कहा कि वह 18 विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री हैं और कैबिनेट के सभी फैसलों के लिए जिम्मेदार हैं.
बेल देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा-:
कोर्ट ने सभी की दलीलें सुनने के बाद मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी. इस दौरान सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि अक्टूबर में हमें बताया गया था कि 6-8 महीने में मुकदमा पूरा हो सकता है. आरोपी लंबे समय से जेल में है. ऐसे में हमसे PMLA सेक्शन 45 में दी गई जमानत की कड़ी शर्तों से रियायत की मांग की गई. मुकदमे में देरी के लिए आरोपी को जिम्मेदार मानने के निचली अदालत और हाई कोर्ट के निष्कर्ष से हम सहमत नहीं हैं. व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है. इसका बिना उचित वजह के हनन नहीं हो सकता है. निचली अदालत और हाई कोर्ट अक्सर इस बात को नहीं समझते कि बेल को रूल और जेल को अपवाद माना जाता है. इस वजह से सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की बड़ी संख्या आती है.
किन शर्तों पर सिसोदिया को बेल-:
सर्वोच्च अदालत ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी रखी हैं. कोर्ट ने कहा–
मनीष सिसोदिया को 10-10 लाख के 2 मुचलके जमा करना होंगे
साथ ही मनीष सिसोदिया को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा.
इसके अलावा वो गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.
उन्हें हर सोमवार को जांच अधिकारियों को रिपोर्ट करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट की इन शर्तों से साफ होता है कि मनीष सिसोदिया जमानत अवधि के दौरान देश छोड़कर विदेश नहीं जा सकेंगे. साथ ही वो किसी भी गवाह को भी प्रभावित नहीं कर सकेंगे.
मनीष सिसोदिया जेल से बाहर आने के बाद क्या कुछ नहीं कर पाएंगे, जानिए
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