दिल्ली नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर शुक्रवार (17 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. आप नेता डॉ. शैली ओबेरॉय ने चुनाव में मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति देने के एलजी के फैसले को चुनौती दी थी. साथ ही जल्द चुनाव कराने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट से आप को राहत मिली है और उनकी दोनों प्रमुख मांगें मानी गई हैं. चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि पहली बैठक में मेयर का चुनाव हो. इस चुनाव में मनोनीत सदस्य वोट न दें.
उन्होंने कहा कि मेयर की अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और बाकी पदों के चुनाव हों. 24 घंटे की भीतर पहली बैठक के लिए नोटिस जारी हो. इससे पहले सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243R के हिसाब से मनोनीत पार्षद वोट नहीं दे सकते. चुनाव जल्द से जल्द होना बेहतर है. एमसीडी के वकील एडिशनल सॉलिसीटर जनरल संजय जैन ने कहा कि एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) वोट दे सकते हैं.
आम आदमी पार्टी की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं दो बातें आपके सामने रखूंगा. पहली बात- हम बात कर रहे हैं किसी नगर पालिका में मेयर चुनाव की. कृपया अनुच्छेद 243R देखें. संविधान का अनुच्छेद 243R एल्डरमैन को वोटिंग का अधिकार नहीं देता है. पैरा 1 कहता है कि मनोनीत व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते. इस चुनाव के लिए इस नगर पालिका के लिए यह अधिनियम इसे दर्शाता है, वह खंड 3ए है.
सिंघवी ने कहा कि अब वास्तविक नियमों को देखें. पहले आप महापौर का चुनाव करते हैं और फिर महापौर शेष बैठक की अध्यक्षता करते हैं. कोर्ट को चुनाव की तारीख तय करनी चाहिए. जो भी हो उन्हें चुनाव कराना चाहिए. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, अनुच्छेद 243R से पता चलता है कि मनोनीत सदस्य मतदान नहीं कर सकते हैं. पहले चुनाव के लिए कल बैठक होगी. मेयर का चुनाव तत्काल होना है.
सिंघवी ने कहा कि उन्होंने दो बार यह कहकर चुनाव रद्द कर दिया कि एल्डरमैन मतदान करेंगे. संजय जैन ने कहा कि एमसीडी के मुताबिक, मेरी समझ यह है कि एल्डरमैन वोट दे सकते हैं. सीजेआई ने पूछा कि हमें 243R पर बताएं कि क्या एल्डरमैन मतदान कर सकते हैं. जैन ने कहा कि नगर पालिका की ये बैठक पहली बैठक से अलग है जो महापौर के चुनाव के लिए विशेष प्रावधान है. उस बैठक के लिए कोई रोक नहीं है क्योंकि शब्द हैं कि निगम को मतदान करने की अनुमति है.
सीजेआई ने कहा कि तो आपका निवेदन यह है कि पहली बैठक में मतदान पर कोई रोक नहीं है. इसपर जैन ने कहा कि जी, हां. निगम की बाद में होने वाली बैठकों में मनोनीत पार्षद वोट नहीं दे सकते, लेकिन यह रोक मेयर चुनने के लिए होने वाली पहली बैठक पर लागू नहीं है. पहली बैठक में सभी मतदान कर सकते हैं. एक बार मेयर चुने जाने के बाद ही निगम सक्रिय होता है.
आदेश लिखवाते हुए सीजेआई ने कहा कि मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट से दखल की मांग की गई. DMC एक्ट की धारा 35 (1) और अध्याय 2 के हिसाब से पहली बैठक में मेयर का चुनाव होता है. धारा 3 की उपधारा 3 के मुताबिक निगम का गठन पार्षदों से होता है. इसके अलावा 10 लोग जो 25 साल की उम्र से कम के न हों और विशेष समझ रखते हों, सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाते हैं. हालांकि, इन मनोनीत सदस्यों को सदन में वोटिंग का अधिकार नहीं होता. पहली बैठक के लिए ऐसे पार्षद को सभापति बनाया जाता है, जो खुद मेयर पद का प्रत्याशी न हो.
सीजेआई ने कहा कि विवाद 2 बिंदुओं पर है- एल्डरमैन (मनोनीत सदस्य) मेयर चुनाव में वोट दे सकते हैं या नहीं, और क्या डिप्टी मेयर या बाकी चुनाव मेयर पद के चुनाव के बाद हों या एक साथ. हमने सभी पक्षों को सुना. अनुच्छेद 243 R कहता है कि सभी पद चुनाव के जरिए भरे जाएंगे. राज्य की विधानसभा कुछ सदस्यों के मनोनयन के लिए भी नियम बना सकती है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता की दलील है कि मनोनीत सदस्य निगम की बैठक में वोट नहीं दे सकते, लेकिन एमसीडी और एलजी के वकीलों का कहना है कि यह रोक नियमित बैठक के लिए है. मेयर चुनने के लिए होने वाली पहली बैठक के लिए नहीं. मनोनीत सदस्य किसी भी बैठक में वोट नहीं दे सकते. इसमें पहली बैठक भी शामिल है. सीजेआई ने कहा कि पहली बैठक में मेयर का चुनाव होना चाहिए. उसके बाद मेयर की अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और बाकी पदों के लिए चुनाव होना चाहिए.