फिलहाल जैसे राजस्थान में सियासी माहौल बयां कर रहे हैं उससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का भी संकट खड़ा हो गया है. दूसरी ओर गहलोत कह रहे हैं कि आलाकमान की पहली प्राथमिकता 2023 का राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतना ही होनी चाहिए क्योंकि कांग्रेस के पास बड़े राज्य के नाम पर राजस्थान ही है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी जो कि विधायकों की बगावत के बाद रद कर दी गई.
अब सवाल है कि क्या अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे? इससे भी बड़ा सवाल ये कि क्या आलाकमान के फैसले के खिलाफ बगावत करने वाले गहलोत का अध्यक्ष बनना संभव है? बहरहाल सोनिया गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि जो अशोक गहलोत अभी शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, कल अगर ये कांग्रेस अध्यक्ष बन गए तो क्या होगा? बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 22 सितंबर को अधिसूचना जारी हो चुकी है.
30 सितंबर तक पर्चा दाखिल करने की प्रक्रिया चलेगी. अभी इस लड़ाई को गहलोत बनाम शशि थरूर के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन राजस्थान के पॉलिटिकल ड्रामे ने सस्पेंस बढ़ा दिया है. चूंकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में सबसे खास भूमिका कांग्रेस की प्रदेश कांग्रेस कमेटी की होती है और पीसीसी के डेलीगेट्स की नजर राजस्थान के सियासी ड्रामे पर बनी है, इसलिए गहलोत के शक्ति प्रदर्शन का असर कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर पड़ना लाजिमी है.
फिलहाल दिल्ली से भेजे गए कांग्रेस के 2 पर्यवेक्षक मलिकार्जुन खड़गे और अजय माकन विधायकों को अभी भी बनाने में लगे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी भी नजर लगाए हुए हैं.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज राजस्थान में कांग्रेस में मचे सियासी भूचाल पर कांग्रेस पर निशाना साधा. केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कहा कि राजस्थान में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है. ठाकुर ने कहा कि जयपुर में रविवार को कांग्रेस विधायकों के बीच आपस में हुई लड़ाई बताता है कि इन्हें कुर्सी प्यारी है, जनता से कोई लेना देना नहीं है.