आबकारी घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के नेता एवं पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने मंगलवार को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी.
सिसोदिया की अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया पर लगे आरोप ‘काफी गंभीर प्रकृति के’ हैं इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी सकती. कोर्ट ने इस बात को देखा कि ‘एक उच्च पद पर मौजूद’ के खिलाफ कदाचार के गंभीर आरोप लगे हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘मनीष सिसोदिया के खिलाफ लगे आरोप काफी गंभीर हैं. इस मामले में उनका व्यवहार ठीक नहीं है. वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. उनके पास 18 विभाग और वे डिप्टी सीएम थे. इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी सकती.’
बता दें कि सिसोदिया न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं. दिल्ली शराब नीति मामले में दायर अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने सिसोदिया का नाम शामिल किया है. अपनी पूरक चार्जशीट में जांच एजेंसी ने दावा किया है कि सिसोदिया ने अपने दो मोबाइल फोन को नष्ट करने की बात स्वीकार की है. बता दें कि मामले में कई दफे की पूछताछ के बाद सीबीआई ने गत 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया. कथित भ्रष्टाचार एवं मनीलॉन्ड्रिंग मामले में सीबीआई और ईडी दोनों जांच एजेंसियां सिसादिया से पूछताछ कर रही हैं.
सिसोदिया ने अदालत में निचली अदालत के 31 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी. अदालत ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सिसोदिया इस मामले में आपराधिक साजिश के प्रथम दृष्टया सूत्रधार थे और उन्होंने दिल्ली सरकार में अपने तथा अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में “सबसे महत्वपूर्ण व प्रमुख भूमिका” निभाई.