शनिवार को कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि शायद हाल के चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण से ही भारत और कांग्रेस ने “अलग-अलग सोचना” शुरू कर दिया है. उन्होंने आत्मनिरीक्षण करने में विफल रहने और वरिष्ठ नेताओं के पलायन को अपनी नाक के नीचे होने देने के लिए पार्टी नेतृत्व पर भी निशाना साधा.
मनीष तिवारी ने कहा कि दो साल पहले हम में से 23 ने सोनिया गांधी को लिखा था कि पार्टी की स्थिति चिंताजनक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. उस पत्र के बाद कांग्रेस सभी विधानसभा चुनाव हार गई.
अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते हैं, तो ऐसा लगता है कि दोनों में से किसी ने अलग तरह से सोचना शुरू कर दिया है. साथ ही कहा कि कांग्रेस की बगिया को बहुत लोगों, परिवारों ने अपने खून से संजोया है. अगर किसी को कुछ मिला वह खैरात में नहीं मिला है.
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर कांग्रेस सांसद ने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में एक दरार दिखाई दे रही है, जो 1885 से अस्तित्व में थी. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. साथ ही कहा कि मुझे लगता है कि 20 दिसंबर, 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर बैठक की सहमति बन गई होती, तो ये स्थिति नहीं आती.
मनीष तिवारी ने कहा कि उत्तर भारत के लोग जो हिमालय की चोटी की ओर रहते हैं, ये जज्बाती और खुद्दार लोग होते हैं. पिछले 1000 साल से इनकी तासीर आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ने की रही है. किसी को इन लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए. गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.