विपक्षी समावेशी गठबंधन ‘इंडिया’ में बसपा को लाने के अंदरखाने प्रयास किए जा रहे हैं। सब कुछ इसी तरह से चलता रहा तो पांच राज्यों के चुनाव के बाद इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। इसमें कांग्रेस सूत्रधार की भूमिका में हैं। कवायद के तहत दोनों ओर के प्रथम परिवारों के बीच कई राउंड की बातचीत भी हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव जीतने के लिए इंडिया गठबंधन कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। बसपा को साथ लाने की कोशिशें उसकी इसी रणनीति का हिस्सा है। यूपी के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बसपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था। तब यह बातचीत अपने मुकाम तक तो नहीं पहुंच सकी थी, लेकिन तब से दोनों के बीच संवाद बना हुआ है। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच मुलाकात भी हो चुकी है। बसपा की ओर से अब नेतृत्व के पारिवारिक हो चुके एक पूर्व सांसद की भी इसमें अहम भूमिका बताई जा रही है।
संभावना जताई जा रही है कि जैसे-जैसे बसपा के साथ बात आगे बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे इस तरह के और बयान भी आ सकते हैं। गांधी परिवार के नजदीकी नेता के मुताबिक वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ कांग्रेस के अनुभव अच्छे नहीं रहे। उस चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने की बात सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार कहते रहे, लेकिन 145 सीट देने के वादे के बावजूद कांग्रेस को 105 सीटें दी गईं। उसमें से भी अनुराग भदौरिया जैसे 10 प्रत्याशी सपा ने अपने लड़ाए थे। इस तरह से देखा जाए तो कांग्रेस के हिस्से में मात्र 95 सीटें ही आई थीं।