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गुजरात दंगों पर अमित शाह, ‘मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है’

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साल 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर समाचार एजेंसी एएनआई को विस्तृत इंटरव्यू दिया और इस दौरान तमाम पहलुओं पर खुलकर बात की. इतनी लंबी कानूनी लड़ाई के दौरान गुजरात के तत्कालीन सीएम और अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिना एक शब्द बोले सब आरोप सहन करने पर भी गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी बात रखी.

एएनआई के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इंटरव्यू के दौरान कहा, “18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन करके लड़ता रहा. और आज जब अंत में सत्य सोने की तरह बाहर आया है, चमकता हुआ बाहर आया है तो आनंद ही होगा.”

उन्होंने कहा, ‘मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है. 18-19 साल की लड़ाई के दौरान वह सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, सहन करके लड़ते रहे, फिर भी एक शब्द नहीं बोले. ये सब कोई बहुत मजबूत मन का आदमी ही कर सकता है.’

बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के मामले में जकिया जाफरी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 जून को खारिज कर दिया. इसमें उन्होंने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की ओर से दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी.

एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा है. शीर्ष अदालत ने फैसला देते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि जकिया जाफरी की अपील में दम नहीं है और खारिज करने लायक है.

गृह मंत्री अमित शाह ने एएनआई से इंटरव्यू में आगे कहा, “मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है. आरोपों को झेलते हुए देखा है. और सबकुछ सत्य होने के बावजूद भी, क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चालू है, हम कुछ नहीं बोलेंगे, इस स्टैंड को बहुत मजबूत मन का आदमी ही ले सकता है.”

गृह मंत्री शाह ने कहा कि “इस वक्त जो बातें मैं इंटरव्यू में बोल रहा हूं, गुजरात के गृह मंत्री के नाते बोल सकता था, पार्टी अध्यक्ष के रूप में कह सकता था क्योंकि परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं है. फैक्ट फैक्ट हैं, परंतु संपूर्ण न्यायिक प्रक्रिया जब तक समाप्त नहीं हुई, तब तक मोदी जी ने इसको प्रभावित करने के लिए कुछ नहीं कहा. चुपचाप सब कुछ सहन करते रहे.”




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