शनिवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई आबकारी नीति को लेकर एक प्रेसवार्ता में बड़ा दावा किया और बताया कि उन्होंने पूर्व उपराज्पाल अनिल बैजल के रुख में आए बदलाव की जांच के लिए सीबीआई को पत्र लिखा है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने नई आबकारी नीति 17 नवंबर 2021 को लागू किया था, उस समय बैजल दिल्ली के उपराज्यपाल थे. हालांकि दिल्ली सरकार ने अब यह नीति वापस ले ली है और वह एक सितंबर से अपने उपक्रमों के माध्यम से पुरानी आबकारी व्यवस्था के तहत शराब की दुकानें संचालित करने की तैयारी कर रही है.
आबकारी मंत्री का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे सिसोदिया ने कहा कि नई नीति में दुकान बढ़ाने नहीं, बल्कि पूरी दिल्ली में बराबरी से दुकान बांटने का प्रस्ताव था. उन्होंने कहा कि दिल्ली के (तत्कालीन) उपराज्यपाल की मंजूरी से ही नई नीति बनाई गई थी, जिसमें सरकार ने एलजी के सुझाव माने थे.
सिसोदिया ने कहा, ‘नई आबकारी नीति के तहत अनधिकृत क्षेत्रों समेत पूरी दिल्ली में 849 दुकानें खोली जानी थीं. तत्कालीन उपराज्यपाल ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया और इसे मंजूरी दे दी.’ उन्होंने आरोप लगाया कि नीति लागू होने से 2 दिन पहले पिछले साल 15 नवंबर को तत्कालीन उपराज्यपाल ने अपना रुख बदल लिया और शर्त लगा दी कि अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और दिल्ली नगर निगम (MCD) से इजाजत लेनी होगी.
आप के नेता ने कहा, ‘तत्कालीन उपराज्यपाल के रुख में बदलाव के कारण अनधिकृत क्षेत्रों में दुकानें नहीं खोली जा सकीं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ. दूसरी ओर, जो दुकानें खोली गई थीं, उन्होंने काफी कमाई की.’
सिसोदिया ने कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि बैजल ने अपना रुख क्यों बदला, जिससे कुछ लोगों को लाभ हुआ और सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि पूर्व राज्यपाल ने क्या किसी दबाव में यह फैसला किया और क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का इससे कोई संबंध है.
मौजूदा उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की है, जिसके तहत शहर के 32 जोन में शराब की खुदरा बिक्री के लिए निजी कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए थे.