एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. इस जीत के बाद मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली मुर्मू देश की दूसरी एवं पहली आदिवासी महिला हैं.
इस पद पर पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील थीं. मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया है. राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट ऐसे दिन आया है जब नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ हो रही है. राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए राष्ट्रपति पद पर मुर्मू की जीत पक्की मानी जा रही थी.
जेएमएम एवं बीजद एवं वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन के बाद यह एक तरह से पक्का हो गया था कि मुर्मू देश की अगला राष्ट्रपति होने जा रही हैं. हालांकि, वोटों का गणित अपने पक्ष में नहीं होने के बावजूद सिन्हा ने सदस्यों से अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट करने की अपील की. राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग हुई. इस दिन विपक्षी पार्टियों के कई नेताओं ने क्रास वोटिंग करते हुए मुर्मू के पक्ष में मतदान किया.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतों की गिनती शुरू होते ही मुर्मू के गृह नगर रायरंगपुर के लोगों में खुशी की लहर एवं उत्साह देखा गया. व्यापारिक संगठन, बार एसोसिएशन और धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थान सहित विभिन्न स्थानीय संगठनों के अलावा सरकारी अधिकारी भी ‘माटी की बेटी’ को बधाई देने के लिए पूरे उत्साह से इंतजार कर रहे हैं. लोक कलाकारों ने अपने कार्यक्रम के लिए अभ्यास किया और वे नतीजे घोषित होने के शीघ्र बाद सड़कों पर उतर कर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं. भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता तपन महंत ने कहा, ‘हम 20,000 लड्डू बनवा रहे हैं और मुर्मू को बधाई देने के लिए 100 बैनर लगाये हैं.’
गुरुवार को संसद परिसर में मतगणना की प्रक्रिया सुबह 11 बजे के बाद शुरू हुई. देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो जाएगा और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ लेंगे. मतगणना संसद परिसर में राज्य सभा के महासचिव पी.सी. मोदी की निगरानी में होगी, जो मुख्य निर्वाचन अधिकारी हैं. परिणाम शाम तक घोषित किए जा सकते हैं. देश के 15वें राष्ट्रपति के चयन के लिए 31 स्थानों पर मतदान 18 जुलाई को हुआ था.
राष्ट्रपति चुनाव में 776 सांसदों और 4,033 निर्वाचित विधायकों समेत कुल 4,809 मतदाता मतदान के पात्र थे. इसमें मनोनीत सांसद व विधायक और विधान परिषद के सदस्य मतदान नहीं कर सकते.