महाराष्ट्र की सियासत में अब उद्धव सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है . शिवसेना के वरिष्ठ नेता और उद्धव सरकार में दिग्गज मंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र की सियासत में उलटफेर करके रख दिया है. पूरी कहानी एकनाथ शिंदे के इर्द-गिर्द घूम रही है.
लेकिन इस सियासी खेल के पीछे भारतीय जनता पार्टी का ‘ऑपरेशन लोटस’ (ऑपरेशन कमल) एक बार फिर से चर्चा में है. अचानक एकनाथ शिंदे के मजबूत तौर पर उभरने के पीछे भाजपा की ही रणनीति मानी जा रही है. शिंदे के बगावती तेवर साफ तौर पर इशारे कर रहे हैं कि वह भाजपा का साथ लिए इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकते थे.
फिलहाल शिंदे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पार्टी के तेजतर्रार नेता संजय राउत पूरी तरह से बैकफुट पर है. शिंदे गुट लगातार मजबूत होता जा रहा है. अब एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ शिवसेना और निर्दलीय मिलाकर 46 विधायक हैं. यह सभी गुवाहाटी के लिए होटल रेडिसन ब्लू में डेरा जमाए हुए हैं.
दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे नरम पड़ गए हैं. संजय राउत ने यहां तक कह दिया कि अगर सभी विधायक कहेंगे तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन से अलग होने पर भी विचार किया जा सकता है. यही नहीं अब शिवसेना पार्टी को लेकर भी घमासान छिड़ गया है.
बागी गुट दावा कर रहा है कि विधायकों की संख्या बल के आधार पर शिवसेना पर अब हमारा अधिकार है. बुधवार देर शाम सीएम उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री आवास छोड़कर मातोश्री (अपने घर) पहुंच गए थे. ठाकरे ने फिलहाल सीएम पद नहीं छोड़ा है . लेकिन अब जो हालात बनते जा रहे हैं वह बता रहे हैं कि महाराष्ट्र में बागी नेता शिंदे के साथ भाजपा कमल खिलाने के लिए तैयार है. आइए जानते हैं भाजपा का ऑपरेशन लोटस क्या है.
यह भाजपा का राजनीति में एक नया शब्द है जो राज्यों में दूसरी पार्टी की सरकारों को गिराने के लिए जाना जाता है. साल 2014 में केंद्र की राजनीति में जब भाजपा काबिज हुई थी तब पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने ऑपरेशन लोटस को गति दी. भाजपा पर विपक्षी दल आरोप लगाते आए हैं कि उसने ऑपरेशन लोटस के तहत कई राज्यों में सरकार बनाई है. छह साल में 7 राज्यों में भाजपा ने ऑपरेशन लोटस चलाया.
भाजपा जीते बगैर सत्ता हथियाने में माहिर महाराष्ट्र में शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है. पहले 25 विधायक उनके साथ थे, जो बाद में 46 हो गए. इससे ऑपरेशन लोटस फिर चर्चा में आ गया. भाजपा ऑपरेशन लोटस के तहत राज्यों में पूर्ण बहुमत न होने के बावजूद सरकार बनाने की कोशिश करती रही है.
भाजपा ने एक के बाद एक राज्यों की सरकार हिलाई. कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, राजस्थान, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और उत्तराखंड ये कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर भाजपा ने या तो अपना कमल खिलाया या फिर पूरी कोशिश की और सफल नहीं हो पाई.
पार्टी दूसरी पार्टी के विधायकों को लालच देकर अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करती है. अगर ऐसा संभव हो पाता है तो विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी का संख्याबल कम हो जाता है और समीकरण बदल जाते हैं. ऐसे में विपक्ष में बैठी पार्टी के पास सत्ता में वापसी का रास्ता खुल जाता है.
भाजपा ने इन राज्यों में ऑपरेशन लोटस का चलाया जादू, कहीं सफल रहे तो कहीं असफल
बता दें कि साल 2018 में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार बनाने के सपने को पूरा नहीं कर पाई. उस समय जेडीएस और कांग्रेस ने बीजेपी पर अपने विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया था.
आरोप लगाने के एक साल बाद इन दोनों पार्टियों के कई विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया . जिससे कुमारस्वामी की सरकार गिर गई. इसी मौके का फायदा उठाकर बीजेपी ने कर्नाटक में अपनी सरकार बना ली. भाजपा के बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने . इसके बाद विपक्ष ने बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस चलाने का आरोप लगाया था.
ऐसे ही साल 2018 में मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ. यहां हुए विधानसभा चुनाव में 15 साल बाद कांग्रेस को सत्ता में वापस आने का मौका मिला था और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने. मार्च साल 2020 में कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत का सामना करना पड़ा.
बीजेपी ने इसका फायदा उठा लिया और ऑपरेशन लोटस के तहत सिंधिया ग्रुप के 22 विधायकों को अपनी तरफ खींच लिया. कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिल गया. शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने. साल 2017 में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई.
कांग्रेस ने 28 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी ने 21 लेकिन कांग्रेस मणिपुर में भी बगावत का शिकार बनी और बीजेपी ने नगा पीपुल्स फ्रंट पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली. साल 2017 में ही गोवा में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन यहां फिर से कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही.
यहां भी बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस का आरोप लगा और कांग्रेस के 10 विधायकों ने एक साथ गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप दिया और बीजेपी ने सत्ता में वापसी कर ली. अरुणाचल प्रदेश में भी 2016 में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में कांग्रेस विधायक चले गए थे जिसके बाद वहां सत्ता में बदलाव आ गया था.
इसमें कांग्रेस के 42 विधायक बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए थे. साल 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार को 9 विधायकों के विद्रोह में उलझा दिया गया था. इन विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य ठहरा दिया इसके बाद, कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया. उस वक्त कांग्रेस ने बगावत के पीछे बीजेपी का हाथ होने का आरोप लगाया था.
बागी विधायक बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. राजस्थान में भाजपा ऑपरेशन लोटस में नहीं हो सकी सफल. राजस्थान में सरकार बनने के बाद से ही पायलट और गहलोत की अंतर्कलह सार्वजनिक मंच पर कई बार खुलकर सामने आई. मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में सचिन पायलट की नाराजगी का फायदा उठाने की कई कोशिशें हुईं, लेकिन ये कोशिशें सफल नहीं हो पाई.
एक राजनीतिक घटनाक्रम में सचिन पायलट पार्टी से नाराजगी के चलते अपने 30 विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गए थे. बीजेपी मौके का फायदा उठाना चाहती थी, लेकिन मध्य प्रदेश की घटना से सीख लेते हुए कांग्रेस के आलाकमान ने बिना देरी के सचिन पायलट को मनाया और उनकी नाराजगी दूर की, जिसके चलते बीजेपी राजस्थान में सरकार नहीं बना पाई. यहां कांग्रेस की गहलोत सरकार ने दावा किया कि बीजेपी का ऑपरेशन कमल फेल हो गया.
फिलहाल महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने के बहुत करीब है. महाराष्ट्र में हुए सियासी उलटफेर में भी चर्चा है कि भाजपा ने ऑपरेशन लोटस के तहत ही उद्धव सरकार हिला दी है.
शंभू नाथ गौतम