झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खनन पट्टा मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में चल रही खनन पट्टा मामले की सुनवाई निरस्त कर दी है. सोरेन के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में माइनिंग लीज को लेकर जनहित याचिका दायर होने के बाद सुनवाई चल रही थी, जिसका राज्य सरकार ने विरोध किया था.
खनन पट्टा मामले की जांच के लिए जनहित याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (7 नवंबर) को मंजूरी दे दी. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से की जा रही जांच में कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा.
झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर याचिकाओं में शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगे थे. जिसे लेकर झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को बदलते हुए शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाओं को सुनवाई के योग्य नहीं माना.
सोरेन और झारखंड सरकार की अर्जी (स्पेशल लीव पिटीशन) पर प्रधान न्यायधीश यूयू ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की. न्यायमूर्ति सुधाशु धूलिया ने मामले पर फैसला सुनाया. इससे पहले 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए सोरेन को अंतरिम राहत दी थी. शीर्ष अदालत ने सोरेन के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था.
और क्या कहा अदालत ने?
सुनवाई के दौरान ईडी ने सोरेन के खिलाफ सीलबंद लिफाफे में सबूत पेश करने की इजाजत मांगी. सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि सील बंद रिपोर्ट बाद में देखेंगे. अगर जांच में कुछ मिला है तो आगे बढ़ सकते हैं. सीजेआई ने साथ ही एजेंसी से यह भी कहा कि प्रथमदृष्टया मामले को स्थापित करें. न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने कहा कि अगर जांच एजेंसी पास सबूत हैं तो वह आगे बढ़े, जनहित याचिकाकर्ता के कंधे से बंदूक क्यों चलाई जा रही है?
ईडी के वकील ने दी ये दलील
ईडी की तरफ से वकील एएसजी एसवी राजू पेश हुए. उन्होंने अदालत से कहा कि झारखंड के सीएम के खिलाफ सबूत मिले हैं. उन्होंने कहा अदालत से सीलबंद लिफाफे में सबूत दाखिल करने की अनुमति मांगी. ईडी के वकील ने मामले को गंभीर बताते हुए झारखंड हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई जारी रखने के लिए आग्रह किया. वकील ने अदालत से तकनीकि खामियों की वजह से मामले को खारिज न करने का आग्रह किया था.