जगदीप धनखड़ को आज (गुरुवार को) उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी. उपराष्ट्रपति पद के लिए गत छह अगस्त को हुए चुनाव में एनडीए प्रत्याशी धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को हराया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें दिन के 12 बजकर 30 मिनट पर पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी. धनखड़ उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की जगह लेंगे. नायडू का कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है. धनखड़ देश के 10वें उपराष्ट्रपति होंगे.
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने मंगलवार को नायडू और धनखड़ को अपने आवास पर बुलाया. इस मौके पर नायडू और बिड़ला ने राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों एवं संसदीय कार्यों पर अपने अनुभव निर्वाचित उपराष्ट्रपति धनखड़ के साथ साझा किए.
इस चुनाव में धनखड़ को 528 वोट और विपक्ष की उम्मीदवार अल्वा को 182 वोट मिले. उपराष्ट्रपति के लिए पिछले छह चुनावों की तुलना में धनखड़ को इस बार सबसे ज्यादा वोट मिले.
उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनने से पहले धनखड़ पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहे. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ धनखड़ के रिश्ते सामान्य नहीं थे. दोनों के बीच समय-समय पर कानून व्यवस्था एवं अन्य मुद्दों पर कड़वाहट सामने आती रही. धनखड़ को उम्मीदवार घोषित किए जाने पर टीएमसी ने कहा कि वह इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी. टीएमसी के दोनों सदनों में कुल 36 सांसद हैं. उप राष्ट्रपति चुनाव में करीब 55 सांसदों ने अपना वोट नहीं डाला.
पेशे से वकील रहे धनखड़ ने राजस्थान हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस किया है. पहली बार उन्होंने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुनझुनू से लोकसभा का चुनाव जीता. साल 1990 में वह संसदीय कार्य मंत्री रहे. धनखड़ की शुरुआती राजनीति पर पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल का असर रहा.
जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ 1993 में किशनगढ़ सीट से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए. उन्हें साल 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया. उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद उन्होंने गत 17 जुलाई को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया. भारत में उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है.