ताजा हलचल

भारत जोड़ो यात्रा: जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने से पहले कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, प्रवक्ता ने दिया इस्तीफा

0
सांकेतिक फोटो

राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम पड़ाव के रूप में जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई की प्रवक्ता दीपिका पुष्कर नाथ ने कल मंगलवार को पूर्व मंत्री लाल सिंह को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने की ‘अनुमति’ दिए जाने के पार्टी आलाकमान के फैसले का हवाला देते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ इस सप्ताह के अंत में केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करेगी.

अपने फैसले को लेकर दीपिक पुष्कर नाथ ने कहा कि वह वैचारिक कारणों पर पार्टी छोड़ रही हैं, क्योंकि सिंह आठ साल की बच्ची के बलात्कारियों का ‘बेशर्मी से बचाव’ करके 2018 के कठुआ दुष्कर्म मामले में अभियोजन का पक्ष कमजोर करने के लिए जिम्मेदार थे. दो बार के सांसद और तीन बार के विधायक लाल सिंह 2014 में कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए थे. वह जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और बीजेपी की पूर्ववर्ती गठबंधन सरकार में मंत्री भी थे.

जनवरी 2018 में कठुआ दुष्कर्म मामले के आरोपियों के समर्थन में निकाली गई एक रैली में हिस्सा लेने पर हुए हंगामे के बाद लाल सिंह ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था और डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (डीएसएसपी) बनाई थी. उन्होंने यह कहते हुए रैली में भाग लेने के अपने कदम का बचाव किया था कि वह ‘स्थिति को शांत और नियंत्रित करने’ के लिए वहां गए थे.

इस बीच बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई ने राहुल गांधी से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के केंद्र-शासित प्रदेश में दाखिल होने से पहले वहां उनकी पार्टी द्वारा की गई ‘गंभीर गलतियों’ पर जवाब देने को कहा. जम्मू-कश्मीर बीजेपी ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को ‘गुपकर गठबंधन’ का समर्थन साफतौर पर इंगित करता है कि यह ‘भारत तोड़ो यात्रा’ है.

जम्मू-कश्मीर के लिए बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, “राहुल गांधी को जम्मू-कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व करने से पहले केंद्र-शासित प्रदेश के संबंध में कांग्रेस द्वारा की गई गंभीर गलतियों पर जवाब देना चाहिए.” उन्होंने दावा किया, “जून-जुलाई 1947 में जब जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा भारत में विलय के इच्छुक थे, तब जवाहरलाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को बड़ी भूमिका देने के लिए इस ऐतिहासिक कदम का विरोध किया और जानबूझकर महाराजा को दरकिनार करने की कोशिश की.”

सेठी ने कहा कि उस समय एक “अच्छा निर्णय” जम्मू-कश्मीर में बेशुमार कीमती जानों के नुकसान को रोक सकता था. उन्होंने इस मुद्दे पर राहुल गांधी से जवाब देने को कहा.







NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version