आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने कांग्रेस पार्टी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आयकर विभाग की तरफ से उनके बैंक खातों की वसूली और फ्रीजिंग की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
दरअसल, आयकर विभाग ने कांग्रेस और यूथ कांग्रेस से जुड़े चार बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया था. आयकर विभाग ने 210 करोड़ की रिकवरी मांगी है. यानी कांग्रेस को यह रकम पैनल्टी के तौर पर आयकर विभाग को देनी होगी. इसके खिलाफ पार्टी ने प्राधिकरण में अपील की थी.
कांग्रेस की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा ने आदेश को 10 दिनों के लिए स्थगित रखने का अनुरोध किया था, ताकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सके. हालांकि, पीठ ने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया कि हमारे सामने ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
तंखा ने तर्क दिया कि आईटी के दावे के विपरीत, राजनीतिक दल फंड के लिए विवश है, क्योंकि उसे चुनावों के लिए फंड की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी आगामी चुनाव में केवल 350 सीटों पर भी चुनाव लड़ती है तो उसे प्रत्येक उम्मीदवार के खर्च का 50 प्रतिशत वहन करना पड़ सकता है, जो एक महंगा मामला साबित हो सकता है.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है.
क्या है मामला?
आपको बता दें कि ये पूरा मामला 2018-2019 के इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़ा है. आयकर विभाग ने कांग्रेस से पैनल्टी के तौर पर 210 करोड़ की रिकवरी मांगी है. इस एक्शन के दो कारण हैं. इसकी वजह है कि विभाग की ओर से तय 31 दिसंबर 2019 की तारीख से 40-45 दिन लेट रिटर्न सब्मिट किया गया था.
इसके अलावा 2018-19 चुनावी वर्ष था. कांग्रेस के 199 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. उसमें से 14 लाख 40 हजार रुपये कांग्रेस के सांसद और विधायकों ने अपने वेतन का हिस्सा जमा करवाया था. ये पैसा कैश में जमा किया गया था. इसी कारण से आयकर विभाग ने कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपये की पैनल्टी लगाई है.