अगले वर्ष 2024 में होने वाले आमचुनाव में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) के लिए सत्ता के शिखर तक पहुंचना बहुत मुश्किल दिख रहा है. अभी हाल ही में आये विभिन्न सर्वें के संभावित परिणामों से जो तस्वीर उभर कर आ रही है. उससे विपक्षी गठबंधन इंडिया का बहुमत के आंकड़े तक भी पहुंचना नामुमकिन सा लग रहा है. वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष गठबंधन एनडीए एक बार फिर सत्ता पर काबिज होता दिख रहा है. आइये इन पांच प्वाइंट से समझते हैं क्यों सत्ता तक पहुंचने में सफल नहीं हो पा रहा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’.
सीटों का बंटवारा बड़ी समस्याः इस 26 दलों वाले महागठबंधन ‘इंडिया’ में चुनाव में जाने के पहले प्रत्येक राज्य में सीटों का बंटवारा सबसे बड़ी समस्या बनने वाली है. खासकर वहां जहां क्षेत्रीय पार्टियां ज्यादा प्रभावशाली हैं. जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली. उत्तर प्रदेश में बीजेपी या यूं कहें एनडीए के लिए सबसे प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी है. इसी तरह बिहार में जेडयू और आरजेडी, पंजाब और दिल्ली में आप. पश्चिम बंगाल ममता दीदी की टीएमसी.
यहां पर टकराव संभवः उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, सपा और आप में सीटों को लेकर एकमत होना मुश्किल है. इसी प्रकार बिहार में आरजेडी लालू प्रसाद यादव, जेडयू नीतीश कुमार और कांग्रेस के बीच सीटों का तालमेल बैठाने में दिक्कत आएगी. पंजाब और दिल्ली में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) का प्रभाव अधिक है. उन्हें किस तरह सीटें मिलेंगी. इसके बाद पश्चिम बंगाल में यह समस्या बहुत जटिल होने वाली है. यहां ममता दीदी की त्रणमूल कांग्रेस (टीएमसी) वर्चस्व है. कांग्रेस और वाम पंथियों का भी अच्छा वोट बैंक है. यहां जिस किसी पार्टी का उम्मीदवार खड़ा होगा इऩ तीनों के वोट बैंक से उसके विजयी होने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी. टीएमसी ने 2019 में यहां 42 लोकसभा सीटों में से 24 जीतीं थीं.
ये दल नहीं हैं किसी गठबंधन में शामिलः 18वीं लोकसभा के लिए होने वाले आम चुनाव में 9 ऐसे दल भी हैं जो किसी भी महागठबंधन में शामिल नहीं हैं. उत्तर प्रदेश में प्रभावी बहुज समाज पार्टी (बीएसपी), उड़ीसा की जनता दल बीजू (बीजेडी) के बाद जनता दल (एस), शिरोमणि अकाली दल, भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस), वाईएसआरसीपी, आईएऩएलडी, ओवैसी की एआईएमआईएम और असम में एआईयूडीएफ. इन सभी पार्टियों का अपने-अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव और वोट बैंक है.
इन दलों के पास हैं इतनी सीटेंः उत्तर प्रदेश में मायावती की बीएसपी (9), उड़ीसा में बीजू पटनायक की बीजेडी (12),पंजाब में सुखबीर सिंह बादल की शिरोमणि अकाली दल (2), तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव की बीआरएस (9), आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी (22), हैदराबाद और औरंगाबाद ओवैसी की एआईएमआईएम (2) और असम में बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ(1) सीट मिलकर लोकसभा में इनकी इन दलों के पास कुल 57 सीटें हैं. अगर इनमें से कुछ प्रमुख दलों को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ अपने साथ जोड़ने सफल होता है तो ही वह कुछ संघर्ष की स्थिति में आ पाएगा. वर्ना सर्वे के संभावित परिणामों के अनुसार एनडीए की 303 सीटों की तुलना में वह मात्र 171 सीटों तक पहुंचता दिख रहा है.
मुस्लिम वोट बैंकः विपक्षी गठबंधन इंडिया का प्रमुख वोटबैंक मुस्लिम ही है. इसमें वो चाहे कांग्रेस का हो या फिर आप, सपा, आरजेडी अथवा टीएमसी पार्टी. इसलिए देश की हर वह सीट जिस पर मुस्लिम वोटर अधिक होगा वहां की क्षेत्रीय पार्टियां अधिक से अधिक टिकटों का दावा करेंगी. इसमें इस बात का भी खतरा है कि मुस्लिम वोटर कई आधार पर वोटिंग करता है. जिसमें धर्म, जाति, क्षेत्रीय नेता जैसे मुद्दे भी शामिल होते हैं. इसके चलते वह अपने दल के प्रत्याशी के विरोध में भी वोट सकता है.