उत्तराखंड में बहुचर्चित स्टिंग मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है. स्टिंग प्रकरण में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत दो मौजूदा विधायक उमेश कुमार और मदन बिष्ट को नोटिस जारी किया है. गुरुवार को भी सीबीआई के अधिकारी नोटिस देने उनके घर पहुंचे. इसकी जानकारी खुद हरीश रावत ने दी है. साथ ही मामले पर फिर से अपनी प्रतिक्रिया दी है.
हरीश रावत को सीबीआई का नोटिस मिलने के बाद हरीश रावत बोले, ”सीबीआई को बड़ी जल्दी है. सीबीआई के नोटिस के संबंध में मैंने कहा था कि मैं पूरा सहयोग करूंगा, क्योंकि ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ेगी, न्यायालय के विभिन्न स्तरों पर तर्क-वितर्क आएंगे, तो जो हमारे ऊपर आरोप लगे हैं और भाजपा ने जिस तरीके से उन आरोपों को दुष्प्रचारित किया है, भ्रम पैदा किया है. मेरे सार्वजनिक जीवन के हित में है कि वो बातें, पूरी स्थितियां उत्तराखंड और देश के लोगों के सामने स्पष्ट हों. मगर सीबीआई इतनी जल्दी में है कि आज सुबह जब मैं कुछ दोस्तों को ईद की मुबारकबाद देने गया था तो उस दौरान मेरे घर पर नोटिस लेकर के पहुंच गए, मैं घर पर था नहीं. फिर मैंने निश्चय किया है कि मैं उनको खुद आमंत्रित करूं कि आएं और चाहें तो आज अर्थात 29 जून को ही मुझे नोटिस सर्व कर दें.”
दरअसल, साल 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले को लेकर बीती 20 जून को सीबीआई ने चारों नेताओं पूर्व सीएम हरीश रावत, हरक सिंह रावत, मदन सिंह बिष्ट और खानपुर विधायक उमेश कुमार के वॉयस सैंपल लेने के हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है. साथ ही स्टिंग ऑपरेशन मामले में इन नेताओं को नोटिस भी जारी किया. नोटिस जारी होने के बाद सूबे में सियासत भी जारी है.
एक तरफ हरीश रावत सीबीआई के नोटिस को लेकर लगातार प्रतिक्रियां दे रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी पर भी हमलावर हैं. आज का पूरा घटनाक्रम:- सीबीआई के दो अधिकारी पहले हरीश रावत के घर पहुंचे, लेकिन, हरीश रावत वहां मौजूद नहीं थे. लिहाजा हरीश रावत ने उनकी मौजूदगी के दौरान ही नोटिस रिसीव कराने की बात कही. इसके बाद सीबीआई के अधिकारी हरक सिंह रावत के घर सुबह 11:30 पहुंचे. इस दौरान हरक सिंह रावत ने सीबीआई का नोटिस रिसीव किया. हरक सिंह रावत ने कहा उन्होंने सीबीआई के इन दोनों अधिकारियों को पूरा सहयोग किया. वह इस पूरे मामले में जांच में पूरा सहयोग करेंगे. इसके बाद शाम करीब 4:00 बजे सीबीआई की टीम हरीश रावत के घर पहुंची. उन्हें भी नोटिस रिसीव करवाया.
हरीश रावत ने सीबीआई की टीम को अपने चिर परिचित अंदाज में आम खाने का निमंत्रण भी दिया. इस पूरे मामले को लेकर बातचीत की. अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर उन्होंने लिखा कि जहां देश भर में ईद मनाई जा रही है तो वहीं सीबीआई बेहद जल्दी में दिखाई दे रही है. आज भी पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीबीआई के नोटिस पर प्रतिक्रिया दी है. यह प्रतिक्रिया उन्होंने सीबीआई के अधिकारियों के उनके घर पर पहुंचने को लेकर दी है. यह जानकारी हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर साझा की है. हरीश रावत का कहना है कि वो सीबीआई के नोटिस के संबंध में पूरा सहयोग करेंगे.
बता दें कि साल 2016 में उत्तराखंड की तत्कालीन हरीश रावत की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए सरकार के अपने ही 9 विधायक बागी हो गए थ. इन विधायकों में विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा, शैलेंद्र मोहन, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा शामिल थे. इनके बगावती तेवरों की आंच इतनी बढ़ गई थी कि इसकी तपिश दिल्ली तक पहुंची. नजीजतन, उत्तराखंड में 3 महीने तक उहापोह की स्थिति बनी रही. आखिरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
उत्तराखंड में बहुचर्चित स्टिंग मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है. स्टिंग प्रकरण में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत समेत दो मौजूदा विधायक उमेश कुमार और मदन बिष्ट को नोटिस जारी किया है. गुरुवार को भी सीबीआई के अधिकारी नोटिस देने उनके घर पहुंचे. इसकी जानकारी खुद हरीश रावत ने दी है. साथ ही मामले पर फिर से अपनी प्रतिक्रिया दी है.
हरीश रावत को सीबीआई का नोटिस मिलने के बाद हरीश रावत बोले, ”सीबीआई को बड़ी जल्दी है. सीबीआई के नोटिस के संबंध में मैंने कहा था कि मैं पूरा सहयोग करूंगा, क्योंकि ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ेगी, न्यायालय के विभिन्न स्तरों पर तर्क-वितर्क आएंगे, तो जो हमारे ऊपर आरोप लगे हैं और भाजपा ने जिस तरीके से उन आरोपों को दुष्प्रचारित किया है, भ्रम पैदा किया है. मेरे सार्वजनिक जीवन के हित में है कि वो बातें, पूरी स्थितियां उत्तराखंड और देश के लोगों के सामने स्पष्ट हों. मगर सीबीआई इतनी जल्दी में है कि आज सुबह जब मैं कुछ दोस्तों को ईद की मुबारकबाद देने गया था तो उस दौरान मेरे घर पर नोटिस लेकर के पहुंच गए, मैं घर पर था नहीं. फिर मैंने निश्चय किया है कि मैं उनको खुद आमंत्रित करूं कि आएं और चाहें तो आज अर्थात 29 जून को ही मुझे नोटिस सर्व कर दें.”
दरअसल, साल 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले को लेकर बीती 20 जून को सीबीआई ने चारों नेताओं पूर्व सीएम हरीश रावत, हरक सिंह रावत, मदन सिंह बिष्ट और खानपुर विधायक उमेश कुमार के वॉयस सैंपल लेने के हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है. साथ ही स्टिंग ऑपरेशन मामले में इन नेताओं को नोटिस भी जारी किया. नोटिस जारी होने के बाद सूबे में सियासत भी जारी है.
एक तरफ हरीश रावत सीबीआई के नोटिस को लेकर लगातार प्रतिक्रियां दे रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी पर भी हमलावर हैं. आज का पूरा घटनाक्रम:- सीबीआई के दो अधिकारी पहले हरीश रावत के घर पहुंचे, लेकिन, हरीश रावत वहां मौजूद नहीं थे. लिहाजा हरीश रावत ने उनकी मौजूदगी के दौरान ही नोटिस रिसीव कराने की बात कही. इसके बाद सीबीआई के अधिकारी हरक सिंह रावत के घर सुबह 11:30 पहुंचे. इस दौरान हरक सिंह रावत ने सीबीआई का नोटिस रिसीव किया. हरक सिंह रावत ने कहा उन्होंने सीबीआई के इन दोनों अधिकारियों को पूरा सहयोग किया. वह इस पूरे मामले में जांच में पूरा सहयोग करेंगे. इसके बाद शाम करीब 4:00 बजे सीबीआई की टीम हरीश रावत के घर पहुंची. उन्हें भी नोटिस रिसीव करवाया.
हरीश रावत ने सीबीआई की टीम को अपने चिर परिचित अंदाज में आम खाने का निमंत्रण भी दिया. इस पूरे मामले को लेकर बातचीत की. अपने सोशल प्लेटफॉर्म पर उन्होंने लिखा कि जहां देश भर में ईद मनाई जा रही है तो वहीं सीबीआई बेहद जल्दी में दिखाई दे रही है. आज भी पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीबीआई के नोटिस पर प्रतिक्रिया दी है. यह प्रतिक्रिया उन्होंने सीबीआई के अधिकारियों के उनके घर पर पहुंचने को लेकर दी है. यह जानकारी हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर साझा की है. हरीश रावत का कहना है कि वो सीबीआई के नोटिस के संबंध में पूरा सहयोग करेंगे.
बता दें कि साल 2016 में उत्तराखंड की तत्कालीन हरीश रावत की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए सरकार के अपने ही 9 विधायक बागी हो गए थ. इन विधायकों में विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा, शैलेंद्र मोहन, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा शामिल थे. इनके बगावती तेवरों की आंच इतनी बढ़ गई थी कि इसकी तपिश दिल्ली तक पहुंची. नजीजतन, उत्तराखंड में 3 महीने तक उहापोह की स्थिति बनी रही. आखिरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.