लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी इस बार फिर 300 पार का लक्ष्य लेकर चल रही है. वहीं, कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर से उम्मीद है.
इस बीच एक सर्वे आया है जिसमें कांग्रेस की सीटें बढ़ी तो हैं, लेकिन इतनी नहीं कि वह सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच सकें. ऐसे में कांग्रेस को अगर अपनी स्थिति मजबूत करनी है तो उस समुदाय को साधना होगा, जिसके चलते वह 2019 में कुर्सी से बहुत दूर हो गई थी.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 303 सीट के साथ अकेले बहुमत हासिल करने में सफल रही थी. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की सीटें 351 थीं. वहीं, विपक्षी कांग्रेस को महज 52 सीटें ही मिली थीं. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए भी 91 पर सिमट गई थी.
कांग्रेस की इस करारी शिकस्त के पीछे भारत के सबसे बड़े समुदाय के वोट का बीजेपी की तरफ शिफ्ट होना था. प्रतिष्ठित प्यू रिसर्च ने 2021 में एक सर्वे किया था. इस सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि 2019 के चुनाव में हिंदू समुदाय के लगभग आधे वोट (49%) बीजेपी को पड़े थे.
इसी रिपोर्ट में क्षेत्रीय हिसाब से आंकलन किया गया था. इसमें उत्तर भारत से बीजेपी को हिंदू समुदाय का सबसे ज्यादा समर्थन मिला था. यहां बीजेपी को 68 प्रतिशत हिंदू वोट मिले. मध्य भारत में बीजेपी को हिंदू समुदाय का 65 फीसदी वोट मिले. देश के पूर्वी हिस्से से 46 फीसदी वोट मिले. हालांकि, दक्षिण में अभी भी बीजेपी हिंदू वोटों को अपने साथ नहीं ला सकी है. दक्षिणी राज्यों में बीजेपी को हिंदू समुदाय से 19 प्रतिशत ही समर्थन मिला है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर और मध्य भारत में बीजेपी गहरी पैठ बना चुकी है. इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां से लोकसभा की 200 से ज्यादा सीटें आती हैं.
हाल ही में सी वोटर और इंडिया टुडे ने सर्वे किया है. इसके नतीजे भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं है. सर्वे के मुताबिक, अगर आज चुनाव होते हैं तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को 153 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है. मतलब यह है कि यूपीए की सीटें 2019 में 91 के मुकाबले तो बढ़ी हैं लेकिन अभी भी बहुमत का आंकड़ा बहुत दूर नजर आ रहा है. अगर कांग्रेस को सरकार बनानी है तो दूर हुए हिंदू वोटर को अपने पास करने की जुगत भिड़ानी ही होगी.
लोकसभा चुनाव 2024: सर्वे में खुलासा! 2019 में इस समुदाय से हारी थी कांग्रेस, 2024 में नहीं मनाया तो तीसरी बार भी मोदी सरकार
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