मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले को किस तरह देखते हैं बीएसपी के सांसद! जानिए

2024 के चुनावी उद्घोष से पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती के एक ऐलान ने सनसनी मचा दी है. अपने जन्मदिन (15 जनवरी) के मौके पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की है. मायावती ने यह घोषणा ऐसे वक्त में की है, जब बसपा सुप्रीमो के विपक्षी इंडिया गठबंधन के साथ जाने की चर्चा थी.

मायावती की बहुजन समाज पार्टी का यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में मजबूत जनाधार है. इन राज्यों में लोकसभा की करीब 160 सीटें हैं.

मायावती ने अकेले लड़ने का फैसला क्यों लिया है, यह चर्चा का विषय बना हुआ है. सबसे ज्यादा चर्चा बीएसपी के उन सांसदों को लेकर हो रही है, जो पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के सहारे संसद पहुंचने में कामयाब हुए थे.

2019 में मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. गठबंधन के तहत मायावती को 38 सीटें मिली थी, जिसमें से उनकी पार्टी 10 सीटों पर जीतने में सफल रही थी.

मायावती के फैसले को किस तरह देखते हैं बीएसपी के सांसद?

1. कुंवर दानिश अली- अमरोहा से सांसद दानिश अली वर्तमान में बहुजन समाज पार्टी से निलंबित चल रहे हैं. पार्टी विरोधी गतिविधि का आरोप लगाकर हाल ही में मायावती ने उन्हें पार्टी निलंबित किया था. दानिश अली के कांग्रेस में जाने की चर्चा भी सियासी गलियारों में खूब है.

मायावती के अकेले लड़ने के फैसले पर एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए दानिश अली ने कहा- यह बीएसपी चीफ का व्यक्तिगत फैसला है. मैं इस पर कुछ नहीं बोल सकता हूं.

दानिश अली आगे कहते हैं- बात मेरी रही कि मैं आगे क्या करुंगा, तो इस पर भी अभी कोई टिप्पणी मैं नहीं करना चाहूंगा.

2019 के चुनाव में दानिश अली ने बीएसपी सिंबल पर बीजेपी के कंवर सिंह तंवर को 63,248 वोटों से हराया था. अमरोहा सीट मुस्लिम और दलित बहुल सीट मानी जाती है.

2. मलूक नागर- बिजनौर से सांसद मूलक नागर वर्तमान में बसपा के सबसे मुखर सांसद हैं. संसद में नागर का एक बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसमें वे बीजेपी नेताओं से कहते सुने जा रहे हैं कि मायवती को इग्नोर करना आपको भारी पड़ सकता है.

मायावती के अकेले लड़ने के फैसले पर मलूक नागर ने स्थानीय पत्रकारों से बात की है. नागर ने कहा है कि मायावती जी किसी के भी दबाव में नहीं हैं. हम मजबूती से चुनाव लड़ेंगे. हम अपने तरीके से राजनीति कर रहे हैं.

मलूक नागर का कहना है कि कांग्रेस अगर मायावती को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित करती है और हमारे विधायकों को तोड़ने के लिए माफी मांगती है, तो पुनर्विचार किया जा सकता है.

2019 में नागर ने बीजेपी के कुंवर भारतेंद्र सिंह को 69 हजार वोटों से चुनाव हराया था.

3. अफजाल अंसारी- बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से बीएसपी के सांसद हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उनकी सदस्यता बहाल हुई है.

मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले पर अफजाल कहते हैं- अभी फाइनल फैसला नहीं हुआ है. गठबंधन को लेकर मायावती जी गंभीरता से विचार कर रही हैं. आगे जो भी होगा, आप सबको पता चल जाएगा.

हालांकि, सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज है कि 2024 का चुनाव अफजाल सपा के सिंबल पर लड़ सकते हैं. अफजाल के एक भतीजे वर्तमान में सपा से विधायक भी हैं.

2019 के चुनाव में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के मनोज सिन्हा को 1,19,392 वोटों से चुनाव हराया था.

4. रितेश पांडे- कद्दावर नेता राकेश पांडे के बेटे रितेश वर्तमान में अंबेडकरनगर से बीएसपी के सांसद हैं. अंबेडकरनगर बीएसपी का गढ़ माना जाता रहा है. पिछले 3 में से 2 चुनाव में यहां बीएसपी के उम्मीदवार को जीत मिली है.

मायावती के अकेले लड़ने के फैसले पर रितेश पांडे ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उनसे जब संपर्क साधा गया, तो उनकी कार्यालाय की ओर से कहा गया है कि पार्टी मसले पर वे बयान नहीं दे सकते हैं. पार्टी की ओर से मना किया गया है.

दूसरी तरफ सियासी गलियारों में रितेश के सपा में जाने की चर्चा भी जोरों पर है. मार्च 2023 में रितेश अखिलेश यादव से मिले भी थे. इतना ही नहीं, रितेश के पिता राकेश पांडे वर्तमान में सपा के टिकट पर जलालपुर से विधायक भी हैं.

5. श्याम सिंह यादव- श्याम सिंह यादव वर्तमान में जौनपुर से बीएसपी के सांसद हैं. सरकारी नौकरी से राजनीति में आए श्याम सिंह यादव राष्ट्रीय निशानेबाज भी रह चुके हैं.

मायावती के अकेले चुनाव लड़ने पर यादव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. यादव से जब संपर्क साधा गया, तो उनके कार्यालय की ओर से कहा गया है कि वे अभी बाहर हैं और पार्टी के मसलों पर कोई बात नहीं कर सकते हैं.

दूसरी तरफ सियासी गलियारों में यादव के कांग्रेस में जाने की चर्चा जोरों पर है. दिसंबर 2023 में यादव ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी. हालांकि, यह मुलाकात किस संदर्भ में हुआ था, इसका खुलासा नहीं हुआ.

लालगंज और श्रावस्ती के सांसद के बीजेपी में तो सहारनपुर के सांसद फजलुर रहमान के सपा में जाने की चर्चा सियासी गलियारों में जोरों पर है. लालगंज के सांसद संगीता आजाद ने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात भी की है.

इस मुलाकात के बाद संगीता के सोशल मीडिया अकाउंट की सक्रियता काफी कम हो गई है. सांसद बनने के बाद संगीता ने पहली बार अपने आधिकारिक हैंडल से मायावती के जन्मदिन पर कोई पोस्ट नहीं की है.

अब 2 चर्चा, जो मायावती को लेकर चल रही है

मायावती के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद सियासी गलियारों में 2 बातों की चर्चा सबसे अधिक है.

1. मायावती अकेले चुनाव इसलिए लड़ रही है, ताकि इंडिया गठबंधन को नुकसान झेलना पड़े. 2024 के बाद मायावती बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकती है. राज्य और केंद्र की सरकार में बीएसपी के नेता शामिल हो सकते हैं.

2. मायावती ने अभी किसी से गठबंधन न करने की घोषणा कर बीएसपी को मोलभाव की स्थिति में ला दिया है. अगर इंडिया के दल उनसे संपर्क साधती है, तो उससे मायावती ज्यादा सीटें मांग सकती हैं.

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