यूपी की रामपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत एक ऐतिहासिक घटना है. इससे प्रदेश में ब्रांड योगी के प्रभुत्व को और मजबूती मिल गई है. देश में गुजरात के बाद यूपी बीजेपी का दूसरा सबसे बड़ा किला है. रामपुर सीट पर आधे से अधिक मुस्लिम आबादी है. बीजेपी ने इस साल की शुरुआत में समाजवादी पार्टी के गढ़ आजमगढ़ और रामपुर दोनों में लोकसभा उपचुनाव जीते थे.
आजादी के बाद से रामपुर विधानसभा सीट बीजेपी ने कभी नहीं जीती थी, समाजवादी पार्टी के लिए पिछले दो दशक से आजम खान और उनका परिवार यहां से जीत रहा है. आजादी के बाद से इस सीट ने हमेशा एक मुस्लिम विधायक को देखा है.
रामपुर में पहली बार बीजेपी के आकाश सक्सेना 62% वोट शेयर के साथ जीत गए हैं. यह दर्शाता है कि कुछ मुस्लिम मतदाताओं ने भी रामपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी को वोट दिया है. हालांकि यह परिणाम इस साल मार्च में रामपुर में हुए विधानसभा चुनाव से पूरी तरह उलट था, जब आजम खान ने आकाश सक्सेना को हराकर लगभग 60% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. यह उपचुनाव इसलिए हुआ क्योंकि आजम खान को एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
हालांकि आजम खान की रामपुर विधानसभा सीट पर पकड़ ऐसी थी कि इस सीट पर हुए कुल 20 चुनावों में से 11 बार उन्होंने और उनके परिवार ने इस सीट पर जीत हासिल की. आजम खान रामपुर से 1980 से 1995 और 2002 से 2022 तक विधायक रहे. इस बार आजम खान के करीबी को टिकट दिया गया. भाजपा के विजयी उम्मीदवार आकाश सक्सेना, पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. उन्होंने कहा कि आजम खां के शासनकाल में रामपुर में मुसलमानों को कभी सम्मान नहीं दिया गया. मुसलमानों को हमेशा यहां अधीन रखा गया था और उनके प्यार को गुलामी के रूप में माना गया था.
आकाश सक्सेना ने कहा कि इस चुनाव में मेरा समर्थन करने के लिए मुसलमानों ने गुलामी के बंधन तोड़ दिए. उनके पिता, शिव बहादुर सक्सेना 2017 के विधानसभा चुनाव में रामपुर में आजम खान से हार गए थे. आकाश इसी साल मार्च में आजम खान से भी हार गए थे. मणिपुरी सीट पर खतौली विधानसभा उपचुनाव और लोकसभा उपचुनाव में भाजपा हार गई. खतौली सीट पर हार बीजेपी के लिए एक झटका है, क्योंकि नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पश्चिम यूपी के इसी इलाके से आते हैं. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी ने अपने गढ़ मणिपुरी में जीत दर्ज की है.