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दिल्ली हाईकोर्ट से आप को बड़ा झटका, स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव पर लगाई अंतरिम रोक

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दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट से आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने 27 फरवरी को होने वाले स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव पर अंतरिम रोक लगा दी है. कोर्ट ने एलजी कार्यालय, एमसीडी और इसकी नवनिर्वाचित मेयर को नोटिस भेजा है.

पिछले मतदान के बैलट पेपर और सीसीटीवी को संभालकर रखने का निर्देश दिया. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार 27 फरवरी को तय की है और मेयर शैली ओबरॉय से जवाब देने को कहा है.

दरअसल एमसीडी की नवनिर्वाचित मेयर शैली ऑबराय ने 25 फ़रवरी यानी शुक्रवार को हुए हंगामे के बाद सदन स्थगित करते हुए कहा था कि 27 फ़रवरी को स्टैंडिग कमेटी का चुनाव दोबारा होगा. हालांकि कोर्ट ने अब्ज़र्व किया कि रेगुलेशन 51 के मुताबिक, ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि मेयर के पास चुनाव रद्द करने की कोई भी संवैधानिक शक्ति है.

एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लेकर हाईकोर्ट पहुंची बीजेपी पार्षद शिखा राय ने कहा, ‘हम कल से लगातार मांग कर रहे थे कि जो आप (मेयर) दोबारा वोटिंग की बात कर रहे हैं वो सही नहीं है… लेकिन इन्होंने हमारी बात नहीं मानी तो फिर हमें कोर्ट आना पड़ा और कोर्ट ने कह दिया है कि दोबारा चुनाव कराने की ज़रूरत नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘स्टैंडिंग कमेटी में 3-3 (दोनों पार्टियों के) जीत रहे थे, उनको चौथा जिताना था, इसलिए ये ड्रामा किया. वह पूरा चुनाव पलटना चाहती थीं, इसलिए फ्रेस इलेक्शन होल्ड कर दिया है. कोर्ट हमारी बात सुनेगी.’

वहीं इस मामले पर एमसीडी की मेयर शैली ओबरॉय ने कहा, ‘इस आर्डर को मैं हमारी जीत मानूंगी. कल जो हुआ सबने देखा.. कैसे बीजेपी काउंसलर ने मुझ पर हमला किया… यह शर्मनाक घटना थी. आज का दिन अच्छा रहा हमारी जीत हुई.’ इसके साथ ही वह कहती हैं कि ‘डीएमसी ऐप में साफ-साफ लिखा है कि प्रिसाइडिंग आफिसर का अधिकार था एक-एक वोट को स्वीकार या अस्वीकार करने का. जो एक्सपर्ट आए उन्होंने सीट पर रिजल्ट बना लिया था. एक वोट इनवैलिड (अवैध) था, उसे मैंने इनवेलिड किया तो बीजेपी के लोग हल्ला मचाने लगे.’

उधर आम आमदी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘कोर्ट ने वो बात नहीं मानी, रिजल्ट वही डिक्लेयर हो सकता है जो मेयर करेंगी. ये कानून है… कोई उसका असिसटेंट नया रिजल्ट बनाकर ले आएगा तो ये नहीं चलता है. ऐसा कोई कानून नहीं, जहां मेयर द्वारा डिक्लेयर नहीं हो और कोर्ट डिक्लेयर कर दे.’

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