ताजा हलचल

केजरीवाल गिरफ्तार! क्या होगा अगला कदम, जानिए नियम और कानून

दिल्ली के सीएम केजरीवाल
Advertisement

दिल्ली शराब नीति मामले को लेकर आखिरकार सीएम अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हो चुके हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल से दो घंटे तक पूछताछ की. इसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया.

हालांकि, केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार काफी समय से लटकी हुई थी, मगर गुरुवार को जब दिल्ली हाईकोर्ट से सीएम को राहत नहीं मिली, तभी ये तय हो गया था कि किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी तय है. आपको बता दें कि देर रात ईडी की टीम ने केजरीवाल के घर की तलाशी ली. उन्हें पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया.

इस दौरान आप नेताओं ने देश भर में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया था. आप नेता खुलकर कह रहे हैं कि केजरीवाल जेल से ही दिल्ली सरकार चलाने वाले हैं. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने इस गिरफ्तारी को लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए दिल्ली सरकार के बारे में स्पष्ट रुख रखा.

उनका कहना है कि केजरीवाल जेल में रहते सरकार चलाने वाले हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से तय किया गया है कि अरविंद केजरीवाल ही मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री रहेंगे. उनका कहना है कि जेल रहकर ही पार्टी और सरकार चलाने वाले हैं.

ये हो सकता है संभव
जेल से सरकार चलाना थोड़ा कठिन और तर्कहीन हो सकता है. मगर ऐसा कोई कानून या नियम नहीं है जो सीएम को ऐसा करने से रोक सके. फिर भी केजरीवाल के लिए जेल से सरकार चलाना आसान नहीं होगा. किसी भी कैदी को जेल के नियम कानून को फॉलो करना होता है. जेल के अंदर सभी कैदी के सारे विशेषाधिकार खत्म हो जाते हैं. चाहे वह अंडरट्रायल कैदी ही क्यों न हो. हालांकि, मौलिक अधिकार रहते हैं. जेल में हर काम तय कार्य प्रणाली के तहत होता है. जेल के मैनुअल के अनुसार, जेल में बंद हर कैदी को हर सप्ताह में दो बार अपने रिश्तेदार या दोस्तों से मिलने की अनुमति होगी. हर मुलाकात का समय आधे घंटे बांधा गया है.

जेल में बंद नेता चुनाव तो लड़ सकता है
नियम के अनुसार, जेल में बंद नेता चुनाव तो लड़ सकता है, सदन की कार्यवाही में शामिल हो सकता है, मगर वह किसी तरह की बैठक नहीं कर सकता है. इस साल जनवरी में हेमंत सोरेन को जब ईडी ने गिरफ्तार किया तो PMLA कोर्ट ने उन्हें विश्वास मत में भाग लेने की अनुमति दे दी थी. इस दौरान कैदी जब तक जेल में है, उसकी कई सारी गतिविधियां अदालत के आदेश पर तय होती हैं. कैदी अपने वकील की मदद से किसी कानूनी दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर सकता है. मगर किसी सरकारी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को लेकर अदालत की मंजूरी लेनी जरूरी है.

Exit mobile version