गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के बड़े चेहरों में से एक रहे हैं. कांग्रेस में जब वो थे तब उन्हें जी-23 ग्रुप का अगुवा माना जाता था. यह वो ग्रुप था जो राहुल गांधी की नीति और दृष्टि से इत्तेफाक नहीं रखता था.
राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल पूरा होने वाले दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी जबरदस्त तारीफ की तो अटकलें लगने लगी कि आजाद अपने लिए अलग रास्ते का चुनाव कर सकते हैं और कुछ वैसा ही हुआ.
हाल ही में उन्होंने अपने संस्मरण में पिछले पांच दशक की राजनीति पर नजर डालते हुए कहा कि कांग्रेस गलतियों और आडंबर का खजाना है तो कांग्रेस के नेताओं ने भी तंज कसा. कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तो यहां तक कह दिया कि यह समझ के बाहर है कि वो गुलाम क्यों बन गए, अच्छे खासे तो आजाद थे.
कांग्रेस के ही पवन खेड़ा ने सवाल किया कि क्या उन्होंने गौतम अडानी के मुद्दे पर एक शब्द बोला. जब उन्होंने पार्टी छोड़ी तो कहा था कि अब वो आजाद हैं. लेकिन पिछले दो दिनों से उनके बयानों को सुनने के बाद तो ऐसा लगता है कि वो गुलाम हो गए हैं.
कांग्रेस के तीसरे नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि बीजेपी के साथ साफ साफ डील है. यदि आप बीजेपी से कुछ चाहते हैं तो पहली शर्त है कि राहुल गांधी को गाली दो.
गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि राहुल गांधी ही वो मुख्य कारण हैं जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी से नाता तोड़ा. यही नहीं उनकी वजह से पार्टी से कई वरिष्ठ और युवा नेता बाहर हो गए. जब आप कांग्रेस में होते हैं तो रीढ़विहीन होते हैं, आप को खुद की सर्जरी करानी पड़ती है.
आजाद से एक खास सवाल मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को मिली सजा और सूरत में उनके साथ बड़े छोटे नेताओं के जमावड़े के बारे में पूछा गया और उनका जवाब था कि उन्हें इस बात से फर्क नहीं कि राहुल गांधी के साथ कौन सूरत गया था. लेकिन आप किसी नेता को आने से नहीं रोक सकते. आज व्हिप जारी किया जाता है जिसके जरिए किसी को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.