पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर में कहा गया है कि सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि वे अपने स्वाभिमान के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं कर सकते हैं.
कहा जा रहा है कि प्रमुख बैठकों में नहीं बुलाए जाने के कारण आनंद शर्मा कांग्रेस में खुद को उपेक्षित और अलग-थलग महसूस कर रहे थे. उन्होंने कहा है कि वे कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार में हिस्सा लेंगे.
उनके बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की खबरें भी मीडिया में आईं थीं. जिसके बाद उन्होंने कहा था कि उनको किसी भी पॉलीटिकल पार्टी के नेताओं के साथ छिपकर मिलने की कोई जरूरत नहीं है. कभी गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे आनंद शर्मा काफी समय से पार्टी हाईकमान के विरोधी बन गए थे.
शर्मा पार्टी के उन 23 असंतुष्ट नेताओं में भी शामिल थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी थी. उसके बाद से वो लगातार कांग्रेस की आलोचना करने वाले बयान दे रहे थे.
कहा जाता है कि लंबे समय से राज्यसभा के सदस्य रहे आनंद शर्मा चाहते थे कि गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म होने के बाद उनको राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया जाए. जबकि राहुल और सोनिया गांधी ने उनके बजाय मल्लिकार्जुन खड़गे को चुना. माना जाता है कि इसके बाद से ही आनंद शर्मा की नाखुशी पार्टी आलाकमान से बढ़ने लगी.
आनंद शर्मा के बारे में ये मशहूर रहा है कि वे कभी जमीनी नेता नहीं रहे. मनमोहन सिंह सरकार में आनंद शर्मा केंद्रीय कामर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर रहे. आनंद शर्मा ने पहले भी पार्टी के कई फैसलों पर सवाल उठाए थे. खासकर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के कुछ दलों के साथ गठबंधन पर सवाल उठाने के बाद आनंद शर्मा का कई नेताओं से विवाद हुआ था.