झारखंड में चल रही राजनीति उठापटक के लिए आज का चंपई सोरेन सरकार ने फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत हासिल कर दिया. सरकार के समर्थन में 47 मत पड़े. फ्लोट टेस्ट के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा गठबंधन में सहयोगी दलों के विधायक भी सदन में मौजूद रहे. इससे पहले रविवार देर शाम को ही जेएमएम और कांग्रेस के करीब 40 विधायक हैदराबाद से रांची लौट आए थे. इन विधायकों को हैदराबाद के पास एक रिसॉर्ट में ठहराया गया था. चंपई सरकार के फ्लोर टेस्ट के लिए झारखंड विधानसभा का दो दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था. राज्यपाल के अभिभाषण के साथ सोमवार को सत्र की शुरुआत हुई.
झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं. इसलिए सरकार बनाने के लिए किसी भी दल के पास 41 विधायकों का समर्थन होना अनिवार्य है. गठबंधन के हिसाब से चंपाई सरकार के पास बहुमत के न्यूनतम आंकड़े से पांच विधायक ज्यादा हैं. वहीं विधानसभा की 81 सीटों में से एक सीट खाली है, इसलिए 80 सीटों की गिनती करने पर बहुमत का आंकड़ा 41 है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दावा किया है कि उनके पास पर्याप्त संख्या मौजूद है और फ्लोर टेस्ट में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी.
विधानसभा में जेएमएम, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कुल 46 विधायक हैं. इनमें जेएमएम के 28, कांग्रेस के 16, आरजेडी और सीपीआई का एक-एक विधायक शामिल है. जबकि विपक्षी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 29 विधायक हैं.
राजनीतिक के जानकारों की मानें तो अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो चंपई सोरेन की सरकार विधानसभा में बहुमत साबित करने में सफल हो जाएगी. जबकि झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी का कहना है कि राज्य में प्रशासन उनके हाथ में है, फिर भी विधायकों को कैदियों की तरह हैदराबाद ले जाकर बंद रखा गया. उन्होंने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि उनके अंदर गड़बड़ियां हैं. बाउरी ने कहा कि अगर कोई झारखंड की बेहतरी के लिए अपने अंतर्मन को सुनकर कुछ अच्छा करना चाहेगा तो बीजेपी उनका स्वागत करेगी.
कैसे मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन
बता दें कि हेमंत सोरेन ने पिछले सप्ताह अचानक झारखंड के मुख्यमंत्री से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ाय ऐसे में आनन-फानन मं चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा. जिसके चलते झारखंड की जेएमएम सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने की जरूरत पड़ गई. बता दें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब झारखंड मुक्ति मोर्चा को शक्ति परीक्षण का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले सितंबर 2022 में हेमंत सोरेन की सरकार को शक्ति परीक्षण से गुजरना पड़ा था. तब उन्होंने फ्लोर टेस्ट में अपने पक्ष में 48 विधायकों का बहुमत साबित किया था. तब भी हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसके बाद उनपर अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडराने लगा था.