पटना| चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नीतीश कुमार के फिर से पलटी मारने और भाजपा के साथ जाने के दावे का भाजपा ने जोरदार खंडन किया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को साफ किया कि नीतीश को भाजपा कभी साथ नहीं रखेगी.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि पीएम बनने की अभिलाषा में नीतीश बिहार में कानून व्यवस्था को चौपट कर चुके है। बिहार के अफसरों की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है। कोई भी आम आदमी किसी का नाम लेकर फोन कर देता है.
उन्होंने मांग की है कि कोर्ट के द्वारा एक कमिटी बनाई जाए जो इस बात की जांच करे कि बिहार के डीजीपी को कितनी बार फोन आए और कितनी बार उन्होंने सरकारी अफसरों को बचाया. इसे लेकर सरकार को श्वेत पत्र भी जारी करनी चाहिए.
किशनगंज के एक स्कूल में सातवीं कक्षा की परीक्षा के पेपर में कश्मीर को अलग देश बताये जाने के मामले पर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना में बैठ कर प्रश्नपत्र तय किया गया. लेकिन कहा जा रहा है कि किशनगंज में टाइपिंग मिस्टेक किसी ने किया है. उन्होंने इसे बिहार का चौथा बड़ा शिक्षा घोटाला बताया. कहा कि मुख्यमंत्री तो रबड़ स्टैम्प हो गये हैं उनसे बात करना ही बेकार है. इसलिए हम प्रधान सचिव से इसकी जांच की मांग करते हैं.
वहीं नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि अपने आश्रम जाने के चक्कर में नीतीश जी पूरे बिहार को जंगल में बदलने को तैयार हो गये है. बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है खुद पटना हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की है. हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से बिहार सरकार को शर्मिदा होना चाहिए. कोर्ट का भी मानना है कि शराबबंदी बिहार में असफल है. पूरे बिहार को नशे में धकेला जा रहा है.
संजय जायसवाल ने कहा कि राजद के जीतने नेता हैं वहीं शराब माफिया और बालू माफिया हैं. बिहार में पटना सबसे सेफ जोन हो गया है जहां अपराधी आते है और आसानी से आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते है. जितने भी अपराधिक गतिविधिया हैं सबका अड्डा पटना हो गया है जिसे रोक पाने में पुलिस नाकाम है. पुलिस शराब माफिया को शरण देने का काम कर रही है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि कल बुधवार का दिन बिहार सरकार के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन था. बिहार में बहुत सारे घोटाले हुए लेकिन पहली बार हमलोगों ने देखा की हाईकोर्ट में वकील घोटाला भी हो रहा है. दरअसल बिहार सरकार ने 15 रिव्यू पेटिशन फाईल किया था. आयोग बनाकर फैसला करने की बात बीजेपी कह रही थी लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश नहीं माने.
बाद में सभी 15 रिव्यू पेटिशन को वापस ले लिया गया. इसमें दो व्यक्ति वकील विकास सिंह और मनेंद्र सिंह को सबसे ज्यादा फायदा हुआ. वकील विकास सिंह की बात करें तो प्रति हियरिंग के लिए 35 लाख रुपये उन्हें दिया गया. वहीं मनेंद्र सिंह सुप्रीम कोर्ट के बड़े एडवोकेट हैं उनकी भी सेवा ली गयी.
संजय जायसवाल ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह बिहार का एडवोकेट जनरल भी रबड़ स्टाम्प हैं क्या? बिहार के एडवोकेट जनरल का काम दिल्ली से वकीलों को लाना और लाखों रुपये उन्हें देना बस यही रह गया है. हाईकोर्ट में बिहार सरकार के जितने वकील हैं उनकी क्षमता और बुद्धिमता पर अब शक होता है. अगर यह काम कोई सिविल का सबसे कमजोर और छह महीने पास आउट लॉयर भी करता तो इतनी गलती नहीं होती.
बिहार सरकार के वकीलों में कैसी क्वालिटी है यह दिख रही है. दिल्ली से लोगों को लाना पड़ता है लाखों रुपये देने पड़ते हैं. बीजेपी अध्यक्ष ने साफ तौर पर कह दिया कि यह अपने आप में बहुत बड़ा घोटाला है. एडवोकेट जनरल मुख्यमंत्री आवास से गाइड होते हैं कभी भी वे लॉ मिनिस्ट्री के द्वारा दायर नहीं होते है.