यूपी में होने वाले उपचुनावों में रामपुर विधानसभा सीट की काफी चर्चा हो रही है. लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा, इस सीट पर हमेशा आजम खान का दबदबा हुआ करता था.
45 सालों के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव हो रहा हो और आजम खान का परिवार उसमें शामिल न हो. रामपुर में आजम खान की बादशाहत खत्म होती दिख रही है. लोकसभा सीट पर पहले ही कमल खिल चुका है. अब विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से भी आजम परिवार दूर हो गया है.
दरअसल, हेट स्पीच मामले में दोषी पाए जाने के बाद अदालत ने रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की विधायकी निरस्त कर दी है. अदालत से आजम खान की विधानसभा सदस्यता अयोग्य घोषित होने के बाद यहां उपचुनाव कराना पड़ रहा है. लोगों को उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी की ओर से उपचुनाव में भी आजम परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाएगा लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश ने ऐसा नहीं किया.
सपा की ओर से उपचुनाव में आसिम रजा को टिकट दिया गया है. खुद आजम खान ने आसिम रजा के नाम की घोषणा की है. 45 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि रामपुर सीट से आजम परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं मिला है. आजम खान खुद 10 बार रामपुर सीट से विधायक रह चुके हैं. एक उपचुनाव में सपा ने आजम की पत्नी तंजीन फातिमा को टिकट दिया था और वह उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थीं. माना जा रहा था कि इस उपचुनाव में भी सपा की ओर से उन्हें ही टिकट दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
रामपुर की सियासत में आजम खान ने 1977 में कदम रखा था. उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर लड़ा था लेकिन उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार मंजूर अली खान उर्फ शन्नू मियां के सामने हार का सामना करना पड़ा था. 1980 में आजम ने फिर से किस्मत आजमाई और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद आजम ने फिर कभी पीछे पलटकर नहीं देखा लेकिन यूपी में जैसे ही योगी सरकार आई, रामपुर में आजम खान का सियासी वर्चस्व खत्म होने लगा. योगी सरकार में आजम खान की मुसीबतें ऐसी बढ़ीं कि उन्हें 2 साल तक जेल में रहना पड़ा.
रामपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी का कमल खिल चुका है. अब विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में आजम परिवार के किसी सदस्य को सपा से टिकट नहीं मिला है. बीजेपी ने आजम के धुर-विरोधी रहे आकाश सक्सेना को मैदान में उतारा है. आकाश ने ही आजम खान पर कई मुकदमे दर्ज कराए हैं.