शिमला| हिमाचल प्रदेश में आखिरकार एक माह के इंतजार के बाद कैबिनेट का गठन हो गया. शिमला में राजभवन में रविवार सुबह कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली. इससे पहले, सचिवालय में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छह मुख्य संसदीय सचिवों को पद और गोपनियता की शपथ दिली.
जानकारी के अनुसार, हिमाचल राजभवन में करीब 10 बजे कैबिनेट के लिए मंत्रियों के लिए शपथ ग्रहण समारोह शुरू हुआ. सबसे पहले डॉक्टर धनी राम शांडिल्य ने शपथ ली. वह सोलन से विधायक बने हैं. इसके बाद कांगड़ा के ज्वाली से विधायक चंद्र कुमार ने मंत्री पद की शपथ ली.
वह 6 बार के विधायक हैं. इसके बाद सिरमौर के शिलाई हर्षवर्धन को कैबिनेट में शामिल किया गया. चौथे नंबर पर जगत सिंह नेगी ने मंत्री बनने की शपथ ली. इसके बाद शिमला के जुब्बल कोटखाई से रोहित ठाकुर का नंबर रहा. उनके नाम की घोषणा होते ही राजभवन में खूब तालियां बंजी. वहीं, शिमला से के कुसुमपट्टी से विधायक अनिरूध सिंह और शिमला ग्रामीण से विधायक और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह सबसे अंत में पद और गोपनियता की शपथ ली.
हिमाचल कैबिनेट में दस पदों पर मंत्रियों की तैनाती होनी थी. लेकिन दावेदार ज्यादा होने के चलते सीएम सुक्खू ने फिलहाल, 7 पदों को भी भरने का फैसला लिया है. मंत्रिमंडल में अब तीन पद खाली रहे हैं और इन पर बाद में नियुक्ति होगी.
हालांकि, कैबिनेट की रेस में सुंदर सिंह, राजेश धर्माणी का नाम भी चल रहा था, लेकिन सुंदर सिंह को सीपीएस बनाया गया, जबकि राजेश धर्माणी को फिलहाल कैबिनेट बर्थ के लिए इंतजार करना होगा. वहीं, कैबिनेट गठन में सुधीर शर्मा को भी जगह नहीं दी गई. यह भी काफी चौंकाने वाला फैसला है.
कैबिनेट गठन से पहले सीएम सुक्खू ने रविवार सुबह मुख्य संसदीय सचिवों की तैनाती की. कैबिनेट में खींचतान को कम करने औऱ पावर बैलेंस बनाने के लिए छह सीपीएस बनाए गए हैं. इनमें दून विधानसभा से राम कुमार चौधरी, बैजनाथ के किशोरी लाल, अर्की के संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, रोहड़ू से विधायक मोहन लाल ब्राक्टा को सीएम सुक्खू ने मुख्य संसदीय सचिव बनाया.