मौजूदा समय में देश और दुनिया सबसे ज्यादा व्यस्त मोबाइल फोन पर है. अब तो हर किसी के पास मोबाइल उपलब्ध है. घर, स्कूल-कॉलेजों, ऑफिस, यात्रा के दौरान और पार्कों में लोग मोबाइल से बात करते हुए मिल जाएंगे.
युवा पीढ़ी में तो मोबाइल की आदत के साथ कमजोरी भी बन गई है. आज के दौर में इंसान दुनिया के किसी भी कोने में बैठा हो, लेकिन मोबाइल के जरिए उससे बात कर सकता है. ये कारनामा टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी की बदौलत संभव हुआ है.
इसे इंसानों की सबसे बड़ी खोज में से एक माना जाता है. आज मोबाइल की बातें इसलिए हो रही हैं कि भारत में 27 साल पहले आज ही के दिन 31 जुलाई 1995 को मोबाइल से पहली बार बात की गई थी. केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम थे.
पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु की सरकार थी. दूरसंचार मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने पहली बार एक दूसरे को मोबाइल से कॉल किया था. ज्योति बसु ने उस समय कोलकाता की रॉयटर्स बिल्डिंग से दिल्ली के संचार भवन में बैठे सुखराम को मोबाइल से फोन मिलाया.
इस फोन कॉल से भारत में संचार क्रांति की शुरुआत हुई. शुरुआती पांच साल में मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या 50 लाख पहुंची, जबकि मई 2015 के अंत में देश में टेलीफोन कनेक्शनों की कुल संख्या एक बिलियन क्रॉस कर गई. इस आंकड़े में बढ़ोतरी जारी है.
प्रारंभ में महंगे कॉल टैरिफ के चलते भारत में मोबाइल सेवा को ज्यादा लोगों तक पहुंचने में समय लगा. उन दिनों में आउटगोइंग कॉल्स के अलावा इनकमिंग कॉल्स के पैसे लगते थे. शुरुआत में एक आउटगोइंग कॉल के लिए 16.80 रुपए प्रति मिनट और कॉल सुनने के लिए 8.40 रुपए प्रति मिनट देना होता था.
इस तरह एक मिनट की कॉल पर 24 से 25 रुपए खर्च होते थे. बता दें कि भारत मोबाइल यूजर्स के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में शुमार है. 16 रुपये से शुरू हुई कॉल आज मोबाइल फोन पर लगभग मुफ्त या फिर नाम मात्र की कीमत अदा करके बातचीत होती है. आज देश में हर आम और खास के हाथों में मोबाइल फोन मिल जाएगा.