चावल या अक्षत ( जिसकी क्षति न हुई हो) को सबसे शुद्ध अनाज और सभी अन्न में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
हिन्दू धर्म में पूजा के कार्यों में चावल का काफी महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि यदि पूजा में कोई सामग्री न हो तो चावल उसकी कमी पूरी कर देता है. जब भी हम पूजा के दौरान अक्षत चढ़ाते हैं तो परमेश्वर से अक्षत की तरह ही अपनी पूजा को क्षतिहीन यानी पूर्ण बनाने की प्रार्थना करते हैं. उनसे अपने जीवन की कमी को दूर करने और जीवन में पूर्णता लाने के लिए प्रार्थना करते हैं. वहीं अक्षत का सफेद रंग शांति को दर्शाता है.
कहा जाता है कि प्रकृति में सबसे पहले चावल की ही खेती की गई थी. उस समय ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए लोग उन्हें चावल समर्पित करते थे.
जैसा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मुझे अर्पित किए बिना जो कोई अन्न और धन का प्रयोग करता है, वो अन्न और धन चोरी का माना जाता है. इस तरह अन्न के रूप में भगवान को चावल अर्पित किया जाता है.