रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं. यह त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है. लोग रक्षाबंधन की राखी पूरे साल पहने रखते हैं तो कोई रक्षाबंधन के अगले दिन ही उसे उतार कर रख देता है. राखी को कब तक पहना जा सकता है? राखी कब उतारनी चाहिए या राखी उतारने का समय क्या है? यह सावल आपके मन में आ रहा होगा. आज हम जानते हैं कि राखी कब उतारनी चाहिए और उसका विसर्जन कहां करना चाहिए.
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि धर्मशास्त्रों में राखी के उतारने का कोई निश्चित दिन या समय निर्धारित नहीं है. रक्षाबंधन के बाद राखी को 24 घंटे के बाद उतार देना चाहिए. राखी को पूरे साल बांधे नहीं रखते हैं. यदि आप पूरे वर्ष राखी को बांधे रखते हैं तो दोष लगता है. वह अशुद्ध हो जाती है. राखी के कुछ दिनों बाद पितृपक्ष प्रारंभ होता है, उसमें आप राखी पहने रखते हैं तो वह अशुद्ध हो जाती है. अशुद्ध वस्तुओं का त्याग कर देते हैं, उसे धारण नहीं किया जाता है. अशुद्धता से नकारात्मकता पैदा होती है.
राखी का विसर्जन कब और कहां करें?
रक्षाबंधन के 24 घंटे के बाद राखी को अपने हाथ से खोलकर उतार दें. उसके बाद उसे विसर्जित कर दें. यहां पर विसर्जन से तात्पर्य यह है कि आप उस राखी को किसी पेड़ पर बांध सकते हैं या फिर उस राखी को सहेज कर रख सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य भट्ट का कहना है कि रक्षाबंधन का संबंध रक्षासूत्र से है. रक्षासूत्र सूत यानि की धागे से निर्मित होता है. जो लोग सोने या चांदी की राखी पहनते हैं, वे पूरे सालभर उसे पहन सकते हैं क्योंकि वह धातु की बनी है और यह फैशन से जुड़ा है. वैसे भी सोने और चांदी की राखी व्यक्ति के संपन्नता को दर्शाता है, जबकि रक्षाबंधन बहन की रक्षा की भावना से जुड़ा है. अब व्यक्ति की जैसी क्षमता है, वह उसके हिसाब से त्योहार मनाता है.
रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई को काले रंग के धागे से बनी राखी या काले रंग वाली राखी न बांधें. काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. इसे धार्मिक कार्यों की दृष्टि से भी अशुभ माना जाता है.