फुरसत मिले तो उनका हाल भी पूछ लिया करो, जिनके सीने में दिल की जगह तुम धड़कते हो…
शाम से आंख में नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है, दफ़्न कर दो हमें कि सांस मिले, नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है… इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी, हमें कौन सी सदियां गुजारनी है यहां… आज हम ऐसे शख्स के बारे में बात करेंगे जिन्हें अपने हुनर से इस संसार का मुकम्मल इंसान बना दिया. उन्हें गीतकार, पटकथा, लेखक, निर्देशक, शायरी न जाने कितने विधाओं के लिए जाना जाता है. भारत ही नहीं दुनिया भर में लाखों-करोड़ों प्रशंसक उनके प्रतिभा के कायल हैं.
जी हां आज हम बात करेंगे गुलजार की. गीतकार, फिल्म निर्माता-निर्देशक गुलजार का आज जन्मदिन है. उनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है. आज गुलजार साहब अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं. बढ़ती आयु के बावजूद भी वह अभी थके नहीं हैं. उन्होंने अपनी कलम के दम पर अपने लिए एक बड़ा मुकाम बनाया. उम्र के पड़ाव पर भी गुलजार की कलम ऐसे अफसाने लिख देती है जिन्हें पढ़कर शायद आप एक अलग ही दुनिया में खो जाते हैं. दशकों से अपने इसी हुनर से लोगों का दिल जीतने वाले इस शख्स ने गैराज में मेकैनिक से सिनेमा जगत के गुलजार बनने का सफर संघर्षों से पूरा किया. आइए जानते हैं उनकी निजी जिंदगी और फिल्मी करियर के बारे में.
18 अगस्त 1934 को गुलजार का जन्म पंजाब के झेलम में हुआ था
गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के झेलम में हुआ था. जो अब पाकिस्तान में है. बंटवारे के बाद गुलजार का परिवार अमृतसर आ गया था. अमृतसर में गुलजार का मन नहीं लगा और वे (बंबई) मुंबई आ गए. उन्हें शुरू से शायरी, कविताओं का शौक था. उन्हें जब समय मिलता था वह अपनी कविताओं को कागज पर उतार देते थे. मुंबई आने के बाद गुजारा करने के लिए गुलजार ने गैराज में काम करना शुरू कर दिया था. गैराज में जब उन्हें समय मिलता था तो वह कविताएं लिखते थे. गुलजार के करियर की शुरुआत वर्ष1961 में मशहूर फिल्म निर्देशक विमल राय के सहायक के रूप में हुई थी.
उन्होंने फिल्म निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी और हेमंत कुमार के साथ भी काम किया. इसी दौरान उन्हें फिल्म ‘बंदिनी’ में गाने लिखने का मौका मिला. उन्होंने फिल्म बंदिनी में ‘मोरा गोरा अंग लेई ले’ लिखा. इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था. गुलजार का पहला गाना ही सुपरहिट रहा. गाना सभी को बहुत पसंद आया. बस यहीं से गुलजार ने जो लिखा वह सबके मन में बस गया. उसके बाद उन्होंने 1968 में फिल्म ‘आशीर्वाद’ में संवाद लेखन किया. इस फिल्म में अशोक कुमार कलाकार थे यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई.
वर्ष 1972 में फिल्म निर्देशित की पारी शुरू की
गुलजार ने वर्ष 1972 में फिल्म निर्देशित शुरू करनी आरंभ की. गुलजार की निर्देशित फिल्म मेरे अपने, परिचय, कोशिश, अचानक, खुशबू, आंधी, मौसम, किनारा, किताब, अंगूर, नमकीन, मीरा, इजाजत, लेकिन, लिबास, माचिस, हु तू तू ऐसी फिल्में रही, जो दर्शकों ने खूब सराही. इसके अलावा उन्होंने फिल्म ओमकारा, रेनकोट, पिंजर, दिल से, में गाने भी लिखे जो दर्शकों में सराहे गए. इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों के गानों के बोल लिखे जिसके लिए उन्हें हमेशा आलोचकों और दर्शकों की तारीफें मिली. तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं में, आपकी आंखों में कुछ महके हुए से राज से लेकर पहचान तक कई गानों को प्रशंसक और दर्शक आज भी गुनगुनाते हैं. साल 2007 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना ‘जय हो’ लिखा. उन्हें इस फिल्म के ग्रैमी अवार्ड से नवाजा गया. गुलजार ने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे के लिए भी काफी कुछ लिखा है. जिनमे दूरदर्शन का शो जंगल बुक भी शामिल है.
गुलजार ने अभिनेत्री राखी से किया विवाह
गीतकार, पटकथा लेखक, शायर, निर्माता-निर्देशक गुलजार ने तलाकशुदा अभिनेत्री राखी के साथ विवाह किया. लेकिन दोनों की शादी सफल नहीं हो सकी. उनकी बेटी के पैदाइश के बाद ही यह जोड़ी अलग हो गयी. लेकिन गुलजार साहब और राखी ने कभी भी एक-दूसरे से तलाक नहीं लिया. उनकी एक बेटी मेघना गुलजार जो कि एक फिल्म निर्देशक हैं. मेघना गुलजार ने अभी हाल ही में फिल्म ‘छपाक’ का निर्देशन किया है. गुलजार ने अपने नाम कई अवार्ड किए हैं. पद्म भूषण, दादासाहेब फाल्के, नेशनल अवार्ड सहित 21 फिल्मफेयर अवार्ड्स गुलजार ने अपने नाम किए हैं. सिनेमा जगत के अलावा गुलजार साहब का एक बहुत बड़ा प्रशंसक वर्ग है . उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में अपना बहुत योगदान दिया है . गुलजार ने अपने निर्देशन में कई बेहतरीन फिल्में दी हैं, जिन्हे दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
जन्मदिन विशेष: गीतकार, पटकथा-निर्देशक और शायरी के लिखे अफसानों ने गुलजार को बनाया मुकम्मल इंसान
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