बुधवार को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक के साथ साथ पहलवानों की फौज ने मुलाकात की. मुलाकात का सार यह रहा कि 15 जून तक उन्होंने प्रदर्शन नहीं करने का फैसला किया.
लेकिन भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक्शन की बात एक बार फिर दोहराई. पहलवानों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने नाबालिग पहलवान के साथ छेड़छाड़ की थी.
पहलवानों की मांग के बाद उनके खिलाफ पॉस्को एक्ट में मुकदमा भी दर्ज है. हालांकि अब एक ट्विस्ट आ गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नाबालिग के पिता अपने आरोपों से मुकरते हुए नजर आ रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कथित पीड़ित के पिता ने कहा कि उसे गुस्से की वजह से आरोप लगाए थे क्योंकि उनकी बच्ची के साथ भेदभाव किया जा रहा था. कथित पीड़ित के पिता का कहना है कि उन्होंने अपने बयान को बदला है. लेकिन केस वापस नहीं लिया है.
हमने गुस्से में आकर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ने उनकी बेटी के साथ अमर्यादित व्यवहार नहीं किया था. पांच जून को सेक्शन 164 के तहत अपना बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया है.
इस लड़ाई में पहलवानों के अतिरिक्त और कोई साथ में नहीं था. जब इस मामले को रिपोर्ट किया गया उसके बाद से उनका परिवार सदमे में जी रहा है. पांच जून को सुप्रीम कोर्ट में जज के सामने स्पष्ट किया कि बृजभूषण शरण सिंह ने यौन उत्पीड़न नहीं किया था.लेकिन उनके खिलाफ भेदभाव के आरोप पर कायम हैं.
नाबालिग के पिता ने कहा कि हमने बिना किसी लालच, दबाव या डर के अपना बयान बदल दिया। यह बात बिल्कुल सही है कि मेरी बेटी नाबालिग है। हमने केस वापस नहीं लिया है, सिर्फ बयान बदला है. विशेष रूप से, एक मजिस्ट्रेट के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत एक बयान अदालत में साक्ष्य मूल्य रखता है.
दरअसल पहले खबर आई थी कि नाबालिग के पिता ने अपनी शिकायत वापस ले ली है. इस बीच विरोध कर रहे पहलवान बुधवार को 15 जून तक अपना आंदोलन स्थगित करने पर सहमत हो गए थे. बताया जा रहा है कि सरकार ने उन्हें तब तक बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दायर करने और महीने के अंत तक खेल निकाय के चुनाव कराने का आश्वासन दिया है.