मणिपुर में हाल ही में मुक्त आवाजाही शुरू होने के बाद तनाव बढ़ गया है, जिससे बफर ज़ोन और राजमार्ग अवरोधों को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी-जो जनजातियों के बीच पिछले वर्ष मई से जारी जातीय संघर्षों में अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
संघर्षों के कारण मणिपुर दो जातीय नियंत्रण वाले क्षेत्रों में बंट गया है, जहां हजारों लोग अस्थायी राहत शिविरों में कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं। मेइती महिलाओं के संगठन मेइरा पाइबी ने बफर ज़ोन की वैधता पर सवाल उठाते हुए असम राइफल्स की मणिपुर से वापसी की मांग की है।
कंगवई क्षेत्र, जो 2023-2024 की मणिपुर हिंसा के केंद्र में था, अब बफर ज़ोन का हिस्सा है। यहां के विस्थापित निवासी अब तक अपने घर नहीं लौट सके हैं, जबकि यह क्षेत्र मेइती समूहों द्वारा एक चेकपॉइंट के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
मणिपुर में जारी विरोध और सुरक्षा मुद्दों को हल करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को समन्वित प्रयास करने होंगे, ताकि सभी समुदायों के लिए शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।