चिकित्सा, भौतिकी और रसायन के बाद आज साहित्य के क्षेत्र में भी नोबेल पुरस्कार देने का एलान कर दिया गया. इस साल साल 2021 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार तंजानिया देश के मशहूर उपन्यासकार अब्दुलरजाक गुर्नाह को दिया गया है. नोबेल कमेटी ने अपने बयान में कहा कि उपनिवेशवाद के खिलाफ रजाक ने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया. उन्होंने इस बुराई की जड़ पर अपने साहित्य के जरिए प्रहार किया.
गुर्नाह की कोशिश है कि महाद्वीपों के बीच सांस्कृतिक अंतर की गहरी खाई को लेखनी के जरिए भरा जाए. नोबेल एकेडमी की तरफ से जारी बयान में कहा गया- अब्दुल संस्कृति के विस्तार के हिमायती रहे हैं. उन्हें बचपन से ही साहित्य के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने का शौक था. आप उनकी जीवन यात्रा में इसकी झलक देख सकते हैं. जीवन के आखिरी दौर में भी उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा. बता दें कि अब्दुलरजाक का जन्म 1948 में हुआ था.
वे जांजीबार द्वीप पर पले-बढ़े लेकिन 1960 के दशक के अंत में एक शरणार्थी के रूप में इंग्लैंड पहुंचे. उन्होंने युवावस्था में ही लिखना प्रारंभ कर दिया था. रिटायरमेंट के पहले तक वे केंट विश्वविद्यालय, कैंटरबरी में अंग्रेजी और उत्तर औपनिवेशिक साहित्य के प्रोफेसर थे. गौरतलब है कि साल 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लूक को दिया गया था.
लुईस येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं. उनका जन्म 1943 में न्यूयॉर्क में हुआ था। उनकी कविताएं प्राय: बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, माता-पिता और भाई-बहनों के साथ घनिष्ठ संबंधों पर केंद्रित रही हैं. इसने कहा कि 2006 में आया उनका संग्रह एवर्नो एक शानदार संग्रह है. अब इस साल का शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार का एलान होना बाकी रह गया है.